1.24 लाख शिक्षामित्रों को सिर्फ 41 महीने तक की संविदा पर रखने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को तत्कालीन समाजवादी सरकार के आदेशों को दरकिनार करते हुए यूपी के 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया था। तब से लेकर यूपी के शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट से राहत के लिए कई प्रयास किये जिसमे पुनर्विचार याचिका, उपचारात्मक याचिका का भी विकल्प तलाशा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को निरस्त कर दिया।

कुछ याचिकाकर्ता ने 1 लाख 24 हजार प्रशिक्षित शिक्षामित्रों को 38000 रुपये वेतन दिए जाने के संदर्भ में भी याचिका दायर कर दी। विगत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को भी ठुकराते हुए याचिका रद्द करते हुए यूपी के शिक्षामित्रों को सिर्फ 41 महीने तक की संविदा पर रखने का निर्देश अपने आदेश में यूपी सरकार को दे दिया। सूत्रों के अनुसार यूपी सरकार इस आदेश को जल्द अमल में लाने की तैयारी में है। जिसमें 41 महीने तक कि संविदा निश्चित कर दी जाएगी। फिलहाल यूपी सरकार ने अपने अगस्त 2017 के आदेश में 41 महीने का कोई जिक्र नही किया था चूंकि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में 41 महीने तक संविदा पर रखने का तर्क रख दिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में लिख दिया।


यूपी के शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से कोई भी राहत न मिल पाने की वजह से सैकड़ो शिक्षामित्र अब तक असमायिक मौतों का शिकार भी हो चुके हैं।यदि इस पहलू पर याचिकाकर्ताओं ने नजर नही लगाई तो आगामी कुछ ही महीनों में यूपी के शिक्षामित्र अब अपनी संविदा भी खो देंगे। यूपी सरकार का न्याय विभाग इस सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मंथन कर रहा है।सरकार जल्द ही इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए 41 महीने की निश्चित अवधि की संविदा नियत करने की योजना बना रही है।
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