69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के विवाद के मुख्य बिंदु का सार पढ़े

आप सभी को विदित होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने दि० 01.12.2018 को शासनादेश जारी कर परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के संदर्भ में दिशा-निर्देश दिए व उक्त हेतु सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 (ATRE-19) आयोजित कर आवेदन आमंत्रित किये गये!

दि० 05.12.2018 को इसके लिए आधिकारिक विज्ञापन जारी हुवा और दि0 06.01.2019 को ATRE-19 परीक्षा आयोजित हुयी!
69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के विवाद

दि0 07.01.2019 को बेसिक शिक्षा विभाग ने ATRE-19 का उत्तीर्णअंक 60/65 प्रतिशत (क्रमशः आरक्षित/अनारक्षित हेतु) घोषित किया! परीक्षा होने के बाद उत्तीर्णअंक घोषित होने और उत्तीर्णअंक बहुत अधिक होने इत्यादि मुद्दों को लेकर शिक्षामित्रों ने एकल पीठ के समक्ष दि0 07.01.2019 के उत्तीर्णअंक वाले आदेश को चैलेंज किया! एकल पीठ ने शिक्षामित्र पक्ष में उक्त सहित कई अन्य बिन्दुवों के आधार पर दि0 07.01.2019 के आदेश से निर्धारित 60/65 प्रतिशत को रद्द कर पिछली भर्ती (68500 शिक्षक भर्ती) हेतु आयोजित ATRE-2018 पर लागू उत्तीर्णअंक 40/45 प्रतिशत के आधार पर परिणाम घोषित करने का आदेश पारित किया! जिसे बीटीसी व बीएड पक्षकारों ने डबल बेंच के समक्ष चुनौती दी!

दि० 06.05.2020 को मा० उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ ने निम्नलिखित फैसला सुनाया:-

1. सहायक अध्यापकों की नियुक्ति होने वाली सहायक अध्यापक भर्ती (ATRE) परीक्षा सिर्फ एक अर्हता परीक्षा है! इसकों शिक्षक नियुक्ति/चयन हेतु जारी होने वाली प्रक्रिया का अंग नहीं माना है!

2. मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शिक्षामित्रों को लगातार दो भर्तियों में उनके सर्विस अंतराल के अनुसार दिया जाने वाला अधिभार/वेटेज, शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया हेतु गुणांक बनाते समय मिलेगा!

3. ATRE-2018 व ATRE-2019 दोनों अलग-अलग भर्तियों के लिए आयोजित परीक्षाएं है और उनकी प्रकृति भी अलग है! इसलिए ATRE-2018 के लिए जारी उत्तीर्णअंक (40/45 प्रतिशत) को ATRE-2019 परीक्षा पर नहीं थोपा जा सकता!

4. ATRE-2019 में परीक्षा के एक दिन पश्चात् उत्तीर्णअंक 60/65 प्रतिशत को घोषित करने को खेल के बीच में नियम बदलने जैसे सिद्धांत के तहत मनमाना और गलत नहीं माना है! सुप्रीमकोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गये दो फैसलों को नजीर मानकर डबल बेंच का मानना है कि ATRE-2019 एक अर्हता परीक्षा है और अभी परिणाम नहीं जारी हुवा है, इसलिए शासन/विभाग द्वारा उत्तीर्णअंक 60/65 प्रतिशत निर्धारित करना गलत नहीं है!

5. शिक्षामित्र कोई अलग होमोजीनिय्स समूह नहीं बनाते! परीक्षा में शामिल सभी लोगों के लिए उक्त उत्तीर्णअंक लागू होगा!

6. ATRE-2019 आयोजित होते समय उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली-1981 के 22वें संशोधन में उपलब्ध नियम लागू थे! जिसमें बीटीसी/डीबीटीसी (शिक्षामित्र) का चयन परिशिष्ट 1 के तहत प्रस्तावित नियमों के अनुसार व बीएड धारकों का चयन परिशिष्ट 2 के तहत प्रस्तावित नियमों के अनुसार होना था लेकिन बाद में 25वें संशोधन तक बीएड सहित सभी प्रशिक्षण उपाधिधारकों का चयन परिशिष्ट 1 के तहत ही करने से संदर्भित निर्णय शासन द्वारा लिए जा चुके हैं!

(परिशिष्ट 1 के अनुसार हाईस्कूल, इंटर, स्नातक, शिक्षण-प्रशिक्षण में प्रत्येक के प्राप्तांकों का 10-10 प्रतिशत व ATRE के प्राप्तांक का 60%, शिक्षामित्रों को 2.5 अंक प्रत्येक सेवावर्ष के लिए अधिकतम 25 अंक तक, साथ में टेट अनिवार्य)

7. नियमावली-1989 के 25 वें संशोधन तक के अनुसार ही बीएड को अब प्रशिक्षु शिक्षक जैसे पदों पर नहीं बल्कि सीधे सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति होनी है, नियुक्ति के 2 वर्ष के भीतर उसे 6 माह का प्राथमिक शिक्षा हेतु निर्धारित ब्रिज कोर्स पूरा करना होगा!

8. अंततः न्यायालय का आदेश है कि ATRE-19 शिक्षक नियुक्ति का अंग नहीं बल्कि एक अर्हता परीक्षा है एतैव उसके लिए निर्धारित उत्तीर्णअंक 60/65 प्रतिशत पर परीक्षाफल घोषित करते हुए 69,000 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया हेतु विज्ञापन जारी हो व परिशिष्ट 1 के नियमानुसार चयन कर जल्द से जल्द नियुक्ति की जाय!

मेरे विचार से इस आदेश से प्रभावित पक्ष (शिक्षामित्र इत्यादि) मा० सर्वोच्च न्यायालय की शरण जल्द से जल्द लेंगे! शासन स्तर से भी जल्द भर्ती करने की खबरें उठ रही है! विजयी पक्ष को अपने पूर्ववर्ती स्टेज को पूर्ण करने की हार्दिक बंधाई, फिलहाल वह अपना डॉक्यूमेंट दुरुस्त करने के साथ ही साथ भर्ती प्रक्रिया के अगले स्टेज अर्थात मा० सर्वोच्च न्यायालय चलने की तैयारी करे!