69000 भर्ती पर आए फैसले से शिक्षामित्रों को जोर का झटका

लगभग हजारों शिक्षामित्रों को हाईकोर्ट के इस फैसले से बड़ा झटका लगा है इनकी क्योंकि 69 हजार भर्ती मामले में कोर्ट द्वारा न्यूनतम कटऑफ अंकों में किसी भी प्रकार की राहत न मिलने से दो शिक्षक भर्तियों के बाद भी वे खाली हाथ हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने 25 जुलाई 2017 को दिए गए फैसले में कहा था कि यूपी सरकार इन्हें अग्रिम दो भर्तियों में कुछ छूट देते हुए आवेदन का मौका दें. इसके बाद शासन ने पहले 68500 शिक्षक भर्ती 40-45% न्यूनतम कटऑफ पर की. जिसमें कुछ शिक्षामित्रों नौकरियां मिल गई. और अधिकांश खाली हाथ रह गए. इसके बाद शासन ने 69000 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन निकाला तो शिक्षामित्रों में ख़ुशी आई लेकिन परीक्षा के बाद शासन द्वारा न्यूनतम कटऑफ 60-65% लगा दिया गया, जिसके खिलाफ शिक्षामित्र कोर्ट चले गए. लेकिन कल आए फैसले के बाद उन्हें मायूसी ही हाथ लगी. और अब शिक्षामित्रों ने राज्य सरकार से मांग की है कि उनके भविष्य को लेकर सरकार ठोस निर्णय ले.


60-65 कटऑफ पर लगभग दो हजार शिक्षा मित्र ही ऐसे हैं जो 69 हजार शिक्षक बनने की रेस में शामिल हों सकेंगे।
25 जुलाई 2017 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गईं रियायतें-

👉 रिटायर होने की आयु तक शिक्षक भर्ती में आवेदन की छूट
👉शिक्षामित्र सेवा के लिए 2.5 अंक प्रति वर्ष और अधिकतम 25 अंक का भारांक

इन रियायती छूटों के बाद भी शिक्षामित्रों को नौकरी नहीं मिला सकी, देखें यह आंकड़े

  • 68500 शिक्षक भर्ती में लगभग 7 हजार शिक्षामित्र हुए चयनित.
  • 69000 शिक्षक भर्ती में परीक्षा में यदि 40 व 45 अंकों के क्वालीफाइंग अंक पर भर्ती होती तो 20 हजार शिक्षामित्र नौकरी पा जाते, लेकिन ऐसा न हुआ केस हार गए.
अब कोर्ट के 60 व 65% अंकों के आर्डर के बाद 69 हजार भर्ती में तकरीबन दो हजार ही ऐसे शिक्षामित्र बचे हैं जो शिक्षक बनने के लिए पात्र होंगे | इस पोस्ट का कंटेंट यहाँ से लिया गया है