महिला शिक्षकों ने अब इसे अभियान बनाने का मन बना लिया है। महिला शिक्षकों का यह एसोसिएशन छह महीने पहले ही बना है और राज्य के 75 में से 50 जिलों में मौजूद है। यह संगठन तेजी से अपना विस्तार कर रहा है। एसोसिएशन की अध्यक्ष सुलोचना मौर्य ने कहा, "ज्यादातर सरकारी स्कूलों में महिला शिक्षकों को 200 से 400 बच्चों के साथ टॉयलेट साझा करना पड़ता है। यहां साफ सफाई की कमी भी होती है। ऐसे में ज्यादातर महिला शिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।"
उत्तर प्रदेश में महिला शिक्षकों ने महीने में तीन दिनों की छुट्टी की मांग की है। हाल में ही बने यूपी महिला शिक्षक एसोसिएशन ने यह मांग सरकार के सामने रखी है। महिला शिक्षकों का कहना है कि पीरियड के वक्त उन्हें परेशानी होती है, क्योंकि सरकारी स्कूलों के टॉयलेट की स्थिति अच्छी नहीं है। महिला शिक्षक इस मुद्दे को लेकर अभियान चला रहीं हैं। उन्होंने यूपी सरकार के कई मंत्रियों से भी मुलाकात की है और अपनी मांग सामने रखी है। इस मामले में महिला शिक्षक लोगों का सहयोग चाहती है इसलिए उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के लोगों के साथ भी संपर्क किया है।
महिला शिक्षकों ने अब इसे अभियान बनाने का मन बना लिया है। महिला शिक्षकों का यह एसोसिएशन छह महीने पहले ही बना है और राज्य के 75 में से 50 जिलों में मौजूद है। यह संगठन तेजी से अपना विस्तार कर रहा है। एसोसिएशन की अध्यक्ष सुलोचना मौर्य ने कहा, "ज्यादातर सरकारी स्कूलों में महिला शिक्षकों को 200 से 400 बच्चों के साथ टॉयलेट साझा करना पड़ता है। यहां साफ सफाई की कमी भी होती है। ऐसे में ज्यादातर महिला शिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।"
महिला शिक्षकों ने अब इसे अभियान बनाने का मन बना लिया है। महिला शिक्षकों का यह एसोसिएशन छह महीने पहले ही बना है और राज्य के 75 में से 50 जिलों में मौजूद है। यह संगठन तेजी से अपना विस्तार कर रहा है। एसोसिएशन की अध्यक्ष सुलोचना मौर्य ने कहा, "ज्यादातर सरकारी स्कूलों में महिला शिक्षकों को 200 से 400 बच्चों के साथ टॉयलेट साझा करना पड़ता है। यहां साफ सफाई की कमी भी होती है। ऐसे में ज्यादातर महिला शिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।"