बेसिक स्कूलों में नामांकन का ग्राफ बढ़ाने को घर-घर पहुंच रहे शिक्षक

 बुलंदशहर : कोरोना संक्रमण में बेपटरी हुई शिक्षण व्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद तेज हो गई है। परिषदीय स्कूलों में नामांकन का ग्राफ बढ़ाने के लिए शिक्षक गांवों की गलियों में कदम ताल कर रहे हैं। घर-घर दरवाजा खटखटाकर बच्चों का दाखिला कराने के लिए अभिभावकों को प्रेरित कर रहे हैं। हालांकि शिक्षकों को इस अभियान में चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उनकी मेहनत रंग ला रही है। पिछले सत्र के मुकाबले नामांकन का आंकड़ा बढ़ रहा है। दरअसल, कोरोना संक्रमण का कहर बरपने पर मार्च में शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया। शिक्षकों को वर्क फ्राम होम पर रहते हुए आनलाइन पठन-पाठन की जिम्मेदारी सौंपी गई। अब कोरोना की मंद पड़ी रफ्तार के बाद हालात सामान्य हो रहे हैं, लेकिन अभी विद्यालयों को बच्चों के लिए बंद हैं। जबकि शिक्षक एवं कर्मचारियों को बुलाया जा रहा है। इस बीच नए शैक्षणिक सत्र की शरुआत भी हो चुकी है। परिषदीय स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकन कराने के लिए शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब चूंकि बच्चों के लिए विद्यालय बंद हैं। ऐसे में कुछ अभिभावक विद्यालय पहुंचकर बच्चों का प्रवेश करा रहे हैं। जबकि अधिकांश अभिभावक बच्चों का दाखिला कराने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। जिसका असर परिषदीय स्कूलों के नामांकन पर पड़ रहा है। इन अभिभावकों को समझाने के लिए शिक्षक गांव में पहुंच रहे हैं। समझाने पर मान रहे अभिभावक

सदर ब्लाक के नौसेना प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सुनीता सोलंकी ने बताया कि अधिकांश अभिभावक मजूदरी पर चले जाते हैं तो छोटे भाई-बहनों की देखभाल के लिए बच्चों को छोड़ जाते हैं। इसलिए वह स्कूल में दाखिला कराने से बच रहे हैं। कुछ अभिभावक बच्चों को धान की फसल खेतों में रोपने के लिए साथ ले जाते हैं। इसलिए वह अभी स्कूल में प्रवेश दिलाने के इच्छुक नहीं है। हालांकि उन्हें शिक्षा का महत्व समझाने पर वह मान रहे हैं। पिछले सत्र में जहां छात्र संख्या 170 थी। इस बार बढ़कर 210 पहुंच गई है।

जागरूक होते ही करा रहे दाखिला

सिकंदराबाद ब्लाक के उच्च प्राथमिक विद्यालय सुनपेड़ा की सहायक अध्यापिका प्रीति चौधरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से आज भी अभिभावक भयभीत है। स्कूल भेजने की बजाय मजूदरी कराना ज्यादा पंसद कर रहे हैं। हालांकि उन्हें जब समझाया जाता है। शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाता है तो वह अपनी हठधर्मिता छोड़ देते हैं। नतीजन, पिछले सत्र में जहां विद्यालयमें 81 बच्चे थे। वहीं, आज सैकड़ा पार कर छात्र संख्या 105 हो गई है। अभी इसे और बढ़ाने का प्रयास जारी है। इन्होंने कहा.....

परिषदीय स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के शिक्षक गांव में पहुंचकर अभिभावकों को जागरूक कर रहे हैं। इसका असर दिख रहा है। स्कूलों में नामांकन बढ़ रहा है।