एफआइआर वापस न होने पर सड़क पर उतरेंगे प्रतियोगी

प्रयागराज : पेपर लीक, नंबरों में हेराफेरी और कापी बदलने जैसे कई आरोपों के साथ प्रतियोगी छात्र वर्ष 2013 से 2015 तक आंदोलनरत थे। उनके निशाने पर उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग व तत्कालीन राज्य सरकार की कार्यप्रणाली थी। तब आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रतियोगियों के खिलाफ संगीन धाराओं में एफआइआर दर्ज की गई थी। उस समय भाजपा नेता प्रतियोगियों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे। प्रदेश में सरकार बनने पर एफआइआर वापस कराने का भरोसा दिया गया था, लेकिन वैसा किया नहीं। इससे प्रतियोगी आहत हैं और एफआइआर वापस कराने की मांग कर रहे हैं। ऐसा न होने पर सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं।


आयोग के खिलाफ आंदोलन करने पर 10 जुलाई, 2013 से 20 सितंबर, 2015 के बीच 44 बार प्रतियोगी छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ। तीन बार पुलिस ने गोली चलाई। इसमें कई प्रतियोगियों को पांच हजार रुपये का इनामी घोषित किया गया था। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय बताते हैं कि तत्कालीन प्रशासन ने 100 से अधिक मुकदमे दर्ज कराए थे। प्रतियोगी बताते हैं कि एफआइआर वापस कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एके शर्मा, मुख्य सचिव तथा अन्य अधिकारियों को पत्र लिखने के साथ व्यक्तिगत मुलाकात करके उचित कार्यवाही की मांग कर चुके हैं।