यूपी मदरसा बोर्ड: मदरसे में पढ़ने वाले सरकारी नौकरी के हकदार हो सकेंगे

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा संचालित कामिल और फाजिल (स्नातक व स्नातकोत्तर) पाठ्यक्रम और इसकी परीक्षा को जल्द ही विश्वविद्यालय की डिग्री की मान्यता मिलेगी। इससे मदरसे में पढ़ने वाले सरकारी नौकरी के हकदार होंगे।
 

परिषद के रजिस्ट्रार आर.पी.सिंह ने बताया कि इस बारे में शासन को हाल ही में एक प्रस्ताव भेजा गया है जो अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से अनुमोदित होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग को भेजा जाएगा।

उन्होंने उम्मीद जतायी कि उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद से कामिल फाजिल पाठ्यक्रम की मान्यता ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अरबी फारसी विश्वविद्यालय से मिल जाएगी उसके बाद कामिल और फाजिल की उपाधि को सरकारी नौकरियों में विश्वविद्यालय की स्नातक व स्नातकोत्तर डिग्री के समकक्ष माना जाएगा। अभी तक सरकारी नौकरियों में कामिल व फाजिल की उपाधि को सरकारी नौकरियों में मान्यता नहीं दी जाती है।

उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार ने बताया कि बिहार सरकार ने पटना के मौलाना अब्दुल हक वि.वि.से मिली मान्यता के आधार मदरसों के स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राओं को डिग्री दी जाती है। इसी आधार पर उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है।

इसी क्रम में उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद की मुंशी मौलवी पाठ्यक्रम की शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को अब सेकेण्ड्री व हायर सेकेण्ड्री के नाम से प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं। यह शुरुआत 2020-21 के सत्र से की गई है।
इससे पहले मुंशी मौलवी के नाम से जारी होने वाले प्रमाण पत्रों को माध्यमिक शिक्षा परिषद व अन्य परीक्षा बोर्ड में मान्यता नहीं मिलने की वजह से मदरसे से मुंशी मौलवी के प्रमाण पत्र प्राप्त छात्र-छात्राओं को अगली कक्षाओं में प्रवेश मिलने में बहुत दिक्कत आती थी।

बताते चलें कि प्रदेश में 16 हजार से अधिक मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। इनमें से 558 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं। इन मदरसों में करीब एक लाख 65 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।