साल्वर गैंग: आनलाइन परीक्षा भी हैक कर रहे साल्वर

साल्वर गैंग अब सिर्फ दूसरे की जगह परीक्षा दिलाने का काम ही नहीं कर रहे, बल्कि वे आनलाइन सेंटर में भी गड़बड़ी करने से नहीं चूक रहे । बिहार, यूपी, दिल्ली सहित अन्य कई राज्यों में साल्वर गैंग सेटिंग के लिए आनलाइन सेंटर के संचालकों के पार्टनर भी बन जा रहे हैं। इसके लिए गिरोह ने अब हैकरों को भी शामिल कर लिया है।


साल्वर गैंग के ये हैकर साफ्टवेयर के माध्यम से आनलाइन सेंटर में सेंध लगाकर अपने अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाते हैं। यह कार्य इतनी बारीकी से किया जाता है कि मास्टर सर्वर को इसकी भनक तो मिलती है, लेकिन सेंटर इंचार्ज की मिलीभगत के कारण इस पर पर्दा पड़ा रहता है। विशेषज्ञों का कहना है यह संभव तभी होता है, जब सेंटर से जुड़े लोग गैंग की मदद करते हैं। पिछले साल साल्वर गैंग के सरगना अतुल वत्स के पांच साथी बोरिंग कैनाल रोड से पकड़े गए थे। उन्होंने पूछताछ में पुलिस को इससे जुड़ी कई अहम जानकारी मिली थी। सूत्रों के अनुसार कई आनलाइन सेंटरों में साल्वर गैंग के सदस्य तो पार्टनर भी होते हैं। जिनके माध्यम से मोटी रकम लेकर अभ्यर्थी को फायदा पहुंचाया जाता हैं। परीक्षा समाप्त होते ही सभी सुबूतों को डिलीट कर दिया जाता है। एनआइटी के पूर्व फैकल्टी सह साइबर एक्सपर्ट डा. एसके शर्मा का कहना है कि सेंटर के सिस्टम से किसी तरह की छेड़खानी करने पर मास्टर सर्वर को इसकी जानकारी मिल जाती है। लेकिन सर्वर की सूचना पर तत्काल कितनी सक्रियता दिखाई गई, यह अहम होता है। परीक्षा के दौरान ही सर्तकता बरती जाए तो इन्हें पकड़ना आसान होगा। सेंटर संचालक से मिलीभगत के कारण ही गड़बड़ी संभव हो पाती है। केंद्र पर तैनात अधिसंख्य वीक्षकों को कंप्यूटर की प्रारंभिक जानकारी भी नहीं होती है। सामान्य तौर पर हैकर हर बार अलग-अलग साफ्टवेयर का उपयोग करते हैं। कई परीक्षाओं में धांधली की शिकायत मिली। कई पकड़े भी गए कई साफ्टवेयर के विकल्प भी निकाले गए हैं। लेकिन अभी बहुत कुछ करना शेष है। नवंबर, 2020 में कर्मचारी चयन आयोग मध्य क्षेत्र की ओर से आयोजित दिल्ली पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में एसटीएफ गोरखपुर इकाई ने साल्वर गिरोह के 12 सदस्यों को गिरफ्तार की थी।