हाई कोर्ट का आदेश: पढ़ाई के अलावा किसी भी शिक्षक को गैर शिक्षणेत्तर कार्यो में न लगाया, शिक्षक पढ़ाने के अलावा बाकी सारे काम कर रहे

लखनऊ. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि पढ़ाई के अलावा किसी भी शिक्षक को गैर शिक्षणेत्तर कार्यो में न लगाया जाए। लेकिन, यूपी के सरकारी स्कूलों के शिक्षक गांव-गांव सर्वे कर रहे हैं। वे कोविड से हुई मौतों के आंकड़े एकत्र कर रहे हैं। कहीं उन्हें राशन वितरण प्रणाली की निगरानी में लगाया गया है। तो कहीं शिक्षक स्कूलों में बाउंड्री वॅाल के निर्माण और रंगाई-पुताई के काम में जुटे हैं। 'अनिवार्य डयूटी' के नाम पर करवाए जा रहे इन कार्यों का शिक्षकों ने विरोध जताया है।


यूपी के कई जिलों में शिक्षकों की हालत जानने की कोशिश की। जो जानकारियां मिलीं वह काफी चौंकाने हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कई जिलों में अध्यापकों को कोविड से जुड़ी 'अनिवार्य' ड्यूटी के फरमान भेजे गए हैं।

निगरानी समिति के अध्यक्ष बनाए गए

जिला मजिस्ट्रेट के आदेश में अध्यापकों को कोविड 'निगरानी समिति' का अध्यक्ष बनाया गया है। समिति का काम गांव-गांव जा कर सर्वे करना और कोविड से हो रही मौतों के आंकड़े ला कर मजिस्ट्रेट को सौंपना है। रिपोर्ट को रोज व्हाट्सएप्प ग्रुप में डालना अनिवार्य है।

क्या है निगरानी समिति

मुख्य सचिव, उप्र प्रशासन द्वारा बनायी गयी 'ग्राम स्तरीय निगरानी एवं अनुश्रवण समिति' में 10 से 15 सदस्य हैं। इसमें आशा कार्यकर्ता, ग्राम प्रधान, पंचायत वार्ड सदस्य, पुलिस अधिकारी, लेखपाल और अध्यापक शामिल हैं।

ड्यूटी के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं

शिक्षकों को बिना वैक्सीनेशन और सुरक्षा उपकरण के और बिना फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा दिए कोविड कंट्रोल रूम में लगाया गया है।

ऑनलाइन कक्षाएं लें या सर्वे करें

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ का कहना है, प्राइमरी बच्चों की पढ़ाई पिछले साल 20 अप्रेल से बंद है। इस साल 24 मई को आदेश आया, फिर से ऑनलाइन क्लासेज शुरू करनी है। ऐसे में घर-घर जाकर कोविड ड्यूटी करें या ऑनलाइन क्लासेज लें।

रंगोली बनाने और दिया जलाने का काम

शिक्षकों का कहना है, जिले में कोई वीआइपी आए, मुख्यमंत्री आएं तो टीचरों की ड्यूटी रंगोली बनाने और दिया जलाने में लगा दी जाती है। डीएम को अधिकार प्राप्त है वह किसी भी आपदा में सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर सकता है। इस नियम के तहत हाईकोर्ट के आदेश से भी छूट मिल जाती है।

टीचर्स से न कराया जाए गैर शैक्षणिक काम : हाईकोर्ट

इसी जुलाई माह में इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश था कि टीचर्स से गैर शैक्षणिक काम न लिया जाए। हाईकोर्ट ने कहा था कि अनिवार्य शिक्षा कानून यानी शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षिक कार्यों में नहीं लगाई जा सकती। जस्टिस विवेक चौधरी की एकल पीठ ने संबंधित अथॉरिटी, प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सख्ती से आदेश का पालन करवाने को कहा था।

यह काम कर रहे शिक्षक

पढ़ाने के अलावा शिक्षक मिड डे मील बंटवाने, पल्स पोलियो अभियान की समीक्षा, भवन और बाउंड्री वॉल बनवाने, रंगाई पुताई करवाने, स्कूल के खातों का संचालन, राशन दुकानों का निरीक्षण, आधार कार्ड बनवाने जैसे कार्यो में भी लगाए जाते हैं।

इन कार्यो से छूट नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में शिक्षकों से आपदा, जनगणना और सामान्य निर्वाचन के वक्त ही काम लेने का आदेश है।