आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के भर्ती मामले में आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थियों को 10 प्रतिशत आरक्षण न देने के मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा

लखनऊ:- इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के भर्ती मामले में आर्थिक रूप से कमजोर ( ईडब्ल्यूएस) अभ्यर्थियों को 10 प्रतिशत आरक्षण न देने के मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है। इसके बाद हफ्ते भर में याचियों की तरफ से प्रतिउत्तर दाखिल किया जा सकेगा। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने यह आदेश गोदावरी सिंह व एक अन्य अभ्यर्थी की याचिका पर दिया।


याचियों के अधिवक्ता बृजेश कुमार तिवारी का कहना था कि भर्ती संबंधी ऑनलाइन विज्ञापन में ऊर्ध्वाधर आरक्षण सिर्फ एससी/एसटी/ओबीसी को दिया गया है। जबकि 103वें संविधान संशोधन के तहत आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थियों को भी 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना अनिवार्य है। पिछले दिनों बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की भर्ती में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत पद आरक्षित किए बगैर विज्ञापन जारी किया गया। जबकि इसको लेकर कई जिलों के जिलाधिकारियों ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू किए जाने या न किए जाने के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश मांगे थे। इसी बीच अर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों ने यह याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने बगैर ईडब्ल्यूएस का आरक्षण निर्धारित कि ए विज्ञापन निकलने के कारण भर्ती और शासनादेश को रदद् करने का आग्रह किया है। साथ ही भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार ही चयन समिति गठित करने की गुजारिश भी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी .