पीसीएस-2018 के तहत हुई प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कालेज भर्ती का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

प्रयागराज : पीसीएस-2018 के तहत हुई प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कालेज भर्ती का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा संशोधित किए गए परिणाम से असंतुष्ट अभ्यर्थियों का कहना है कि संशोधन में कोर्ट के आदेश की अनदेखी हुई है। इसी कारण राकेश चंद्र पांडेय व छह अन्य अभ्यर्थियों ने पुन: सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है।

राकेश बताते हैं कि संशोधित सूची में जिन 14 लोगों को बाहर व अंदर किया गया है उनके सिर्फ रोल नंबर जारी हुए हैं। नाम-पता आयोग ने छिपाया है। साथ ही 33 लोगों को बाहर करने के कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ। इसी कारण पुन: सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि 23 जुलाई को आयोग ने मनमानी करते हुए संशोधित परिणाम जारी किया है। संशोधित परिणाम में किसी याची का नाम नहीं था, न ही उसकी संख्या 33 थी। सिर्फ 14 चयनितों को बाहर किया। जिन 14 लोगों का चयन किया गया है, उनके अंकपत्र व प्रमाणपत्रों में गड़बड़ी है।

यह है पूरा मामला : आयोग ने पीसीएस-2018 के तहत विभिन्न विभागों में 988 पदों की भर्ती निकाली थी। इसमें जीआइसी प्रधानाचार्य के 83 पद शामिल थे। भर्ती के विज्ञापन में प्रधानाचार्य पद के अभ्यर्थियों को मंडलीय संयुक्त निदेशक शिक्षा से अनुभव प्रमाणपत्र लाना अनिवार्य था, लेकिन 33 चयनितांे ने अनुभव प्रमाणपत्र नहीं दिया था। इनका चयन सशर्त किया गया था। इसमें 14 ऐसे चयनित थे, जिन्होंने आयोग को अनुभव प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किया। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि बिना अनुभव, कम अनुभव, जिला स्तर के अधिकारी से अनुभव प्रमाणपत्र बनवाने वाले व कम आयु सीमा के अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। अभ्यर्थी राकेश चंद्र पांडेय, अशोक कुमार व अन्य ने इसे आधार बनाकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने 19 फरवरी, 2021 को जीआइसी प्रधानाचार्यो की नियुक्ति को दोषपूर्ण बताते हुए नियमानुसार भर्ती करने का निर्देश दिया था। परिणाम संशोधित न होने पर अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर दी, उसकी सुनवाई 15 जुलाई को होनी थी। इसके पहले 13 जुलाई को आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की, लेकिन अभ्यर्थियों ने 12 जुलाई को ही कैविएट दाखिल कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई को आयोग की एसएलपी को खारिज कर दिया था। फिर 23 जुलाई को परिणाम संशोधित किया गया।