हिंदी की पटरी पर उतर रही इंजीनियरिंग की शिक्षा

आमतौर पर नए आविष्कारों के लिए जूझने वाले आईआईटी बीएचयू के विशेषज्ञ शिक्षक इन दिनों एक नई चुनौती पर काम कर रहे हैं। यह चुनौती है आईआईटी बीएचयू को मातृभाषा से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की। इंजीनियरिंग की शिक्षा हिंदी माध्यम में कराने की। आईआईटी में इसपर काम शुरू हो चुका है। निदेशक प्रो. पीके जैन का कहना है कि नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप अगले शैक्षणिक सत्र से हिंदी चुनने वाले छात्रों को इसी माध्यम में तकनीकी शिक्षा मुहैया कराई जाएगी।


कोर्स के हिंदीकरण के काम में भी आईआईटी ने वैज्ञानिक प्रणाली अपनाई है। तकनीकी शब्दों को हिंदी में अनुवाद करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है। विभागों की तरफ से प्रस्तावित शब्दों को कमेटी पारित करेगी। इसके बाद इन्हें राष्ट्रीय भाषा शब्दावली प्रकोष्ठ के समक्ष रखा जाएगा। प्रकोष्ठ की मुहर लगने के बाद इन तकनीकी शब्दों को कोर्स में शामिल किया जाएगा ताकि यह सर्वमान्य रहें। संस्थान में जल्द ही भाषा शब्दावली प्रकोष्ठ की कार्यशाला भी कराने की तैयारी है। बीएचयू आईआईटी के लिए भैषजकीय अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी (फार्मास्यूटिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी) विभागाध्यक्ष प्रो. सुशांत कुमार श्रीवास्तव इस अभियान की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि लैब मैनुअल (लैब में प्रयोग करने की नियमावली) के साथ ही कोर्स तक हिंदी भाषा में बदले जा रहे हैं।

किसी भी भाषा का आसानी से समझ में आना पहली जरूरी शर्त होती है। आईआईटी में अंग्रेजी के तकनीकी शब्दों को हिंदी में परिवर्तित करते समय इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि यह कठिन न हों। कठिन शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी के शब्दों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही अन्य भाषाओं से भी शब्द लेने की तैयारी है। निदेशक बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि आईआईटी बीएचयू में हिंदी इस्तेमाल में नहीं है। संस्थान से प्रकाशित होने वाले न्यूजलेटर हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में प्रकाशित किए जाते हैं।

शिक्षण को जरूरी हैं किताबें, इसके लिए दे रहे प्रोत्साहन

वाराणसी। किसी भी भाषा में शिक्षण के लिए किताबों का होना सबसे जरूरी है। इंजीनियरिंग की स्तरीय किताबें अब तक अंग्रेजी में हैं। ऐसे में हिंदी भाषा में नए कोर्स मैटेरियल और किताबों के लिए आईआईटी के सभी विभाग अलग से काम कर रहे हैं। निदेशक प्रो. पीके जैन बताते हैं कि अब तक विभिन्न विभागों के 6 प्राध्यापकों ने हिंदी भाषा में इंजीनियरिंग की किताबें लिखने का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए संस्थान की तरफ से उन्हें प्रोत्साहन स्वरूप अनुदान भी दिया जा रहा है। नए शोधपत्रों का प्रकाशन हिंदी में कराने को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। संस्थान का प्रयास है कि हिंदी में अध्ययन करने वाले छात्र आने वाले सत्रों में अंग्रेजी समेत अन्य भाषाओं पर भी समान अधिकार रखें।

हिंदी जन-जन की भाषा है और इसमें तकनीकी शिक्षा भारतीयता को बढ़ावा देने में मददगार होगी। भाषा में कठिन शब्दों की जगह आसान शब्दावली पर जोर है और इसके लिए अंग्रेजी व अन्य भाषाओं के शब्द भी समाहित किए जाएंगे। आईआईटी बीएचयू में अगले सत्र से हिंदी में अध्ययन का भी विकल्प रहेगा। नई पुस्तकों के लेखन के लिए संस्थान के प्राध्यापकों को अनुदान और पुस्तकालय में हिंदी की तकनीकी शिक्षा की किताबों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है।

ऐसे बदली जाएगी तकनीकी शब्दावली

1. आर्किटेक्चर प्लानिंग एंड डिजाइन वास्तुकला, योजना एवं अभिकल्प
2. सिरामिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी सिरामिक अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी
3. केमिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी रासायनिक अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी
4. सिविल इंजीनियरिंग सिविल अभियांत्रिकी
5. कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग संगणक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी
6. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विद्युतीय अभियांत्रिकी
7. इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग इलेक्ट्रॉनिक्स अभियांत्रिकी विभाग
8. मैकेनिकल इंजीनियरिंग यांत्रिक अभियांत्रिकी
9. मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग धातुकीय अभियांत्रिकी
10. माइनिंग इंजीनियरिंग खनन अभियांत्रिकी
11. फार्मास्यूटिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी भैषजकीय अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी
12. ह्यूमनिस्टिक स्टडीज मानवतावादी अध्ययन
13. बायोकेमिकल इंजीनियरिंग जैव-रासायनिक अभियांत्रिकी
14. बायोमेडिकल इंजीनियरिंग जैव-चिकित्सा अभियांत्रिकी
15. मैटेरियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी पदार्थ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

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