राष्ट्रपति जी ने देश को बधाई देने के साथ साथ सांसदों को याद भी दिलाया कि संसद लोकतंत्र का है मंदिर

नई दिल्ली : स्वतंत्रता के 75वें साल की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने देश को बधाई देने के साथ साथ सांसदों को यह याद भी दिला दिया कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है जहां वाद विवाद और संवाद के जरिये जनता का काम करना होता है। उन्होंने नए संसद भवन परिसर को देश की उन्नति से जोड़ते हुए कहा कि यह विरासत के प्रति सम्मान और समकालीन विश्व के साथ चलने की कुशलता का प्रदर्शन करेगा।

देश के नाम अपने लगभग 20 मिनट के संबोधन में राष्ट्रपति का यह वक्तव्य इसलिए अहम है क्योंकि दो दिन पहले ही काफी अवरोध और हंगामे के बाद मानसून सत्र स्थगित कर दिया गया था। राष्ट्रपति ने कहा कि जब हमें स्वतंत्रता मिली थी तो कई को आशंका थी कि यहां लोकतंत्र सफल होगा या नहीं। भारत में बिना भेदभाव वयस्कों को मताधिकार मिला और लोकतंत्र मजबूत हुआ। हमारा लोकतंत्र संसदीय प्रणाली पर आधारित है। संसद लोकतंत्र का मंदिर है। यह जनता के जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे वाद-विवाद और संवाद के जरिए हल करने का मंच है। राष्ट्रपति ने इसके आगे तो कुछ नहीं कहा लेकिन परोक्ष रूप से यह सांसदों के लिए संदेश माना जा रहा है। राष्ट्रपति ने टोक्यो ओलंपिक में महिला खिलाड़ियों के प्रदर्शन का विशेष उल्लेख किया।



संबोधन के खास बिंदु

’बेटियों की सफलता में दिखता है भविष्य का भारत

’नया संसद भवन देश की विरासत के प्रति हमारे सम्मान का प्रतीक

’कोरोना से जंग में विज्ञानियों व सरकार की भूमिका सराहनीय

’जम्मू-कश्मीर में दिख रही नवजागरण की किरण

’पर्यावरण संरक्षण से हर नागरिक को जुड़ना होगा