संभल। बीईओ के आदेश के अनुपालन में लापरवाही बरतना दो सहायक अध्यापकों को भारी पड़ गया। बीएसए ने दोनों अध्यापकों का अगले आदेश तक वेतन रोक दिया है। साथ ही, स्पष्टीकरण मांगा गया है। तीन दिन में यदि जवाब नहीं मिला, तो निलंबन की कार्रवाई होगी।
वाराणसी : हरहुआ ब्लॉक के परिषदीय विद्यालयों का मंगलवार को बीएसए राकेश सिंह ने बाइक से दौरा किया। बाइक की पिछली सीट पर बैठकर वह जिस भी विद्यालय पहुंचे वहां शिक्षक उन्हें पहचान नहीं पाए। इस दौरान बीएसए ने अनुपस्थित शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटने का निर्देश दिया है। वहीं, विद्यालयों में गंदगी मिलने पर संबंधित प्रधानाध्यापकों को चेतावनी दी गई।
🔸औरैया:बिधूना ब्लॉक में खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ने आधार कार्ड बनवाने की एवज में मचाई लूट
🔸अपने नजदीकी रिश्तेदारों के माध्यम से BRC पर करवा रहे थे बसूली
🔸सैंकड़ों ग्रामीणों से ली 400 रुपये प्रति आधारकार्ड की रिश्वत
🔸अभिवावकों सहित शिक्षकों ने जताया विरोध
🔸बीईओ व उसके रिश्तेदारों ने "विरोध दर्ज कराने वाले अनुसूचित जाति के शिक्षक" के साथ गाली-गलौज करते हुए मारपीट की
🔸यूटा सहित अन्य संगठनों ने घटना पर रोष जताया, भ्रष्ट अधिकारी व उसके रिश्तेदारों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही हेतु होगा आंदोलन
बता दें कि कोरोना काल में आंगनवाड़ी और आशा वर्कर्स ने कोरोना ड्यूटी पर रहते हुए जोखिम भत्ता और बीमा कवर की अपनी मांग रख रहीं थीं। इसके साथ ही वो नियुक्तियों को नियमित करने की मांग को लेकर देशव्यापी हड़ताल भी कर रहीं थीं। उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में आशा कार्यकर्ता कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से अपनी काम करने की स्थिति और कम वेतन का विरोध कर रहीं थीं।
अपने सामान्य काम और कोरोना ड्यूटी के अलावा, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शहरी क्षेत्रों से कटे हुए हाशिए के लोगों के दरवाजे तक कोरोना टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ा रही हैं।
गौरतलब है कि आशा कार्यकर्ता किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए संपर्क का पहला बिंदु हैं। वे भारत के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से जुड़े हुए हैं और उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को सबसे वंचित और सबसे हाशिए पर लाकर भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को विकेंद्रीकृत करने में मदद की है। आशा कार्यकर्ताओं ने संस्थागत प्रसव में सहायता करके मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में मदद की है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर बच्चों के लिए सरकार के पोषण कार्यक्रम को चलाने की भी जिम्मेदारी है।
परिषद के सचिव की सूची में भी यह अवकाश नहीं था, जबकि डीएम की सूची में छह अक्तूबर का अवकाश दर्ज है। बीएसए विनय कुमार ने बताया कि छह अक्तूबर को अवकाश रहेगा। इसे लेकर यूटा के जिला उपाध्यक्ष सत्येंद्र पाल सिंह, महिला शिक्षक संघ की जिलाध्यक्ष रुचि सैनी और शिक्षक नेता हरीश बाबू शर्मा ने भी अधिकारियों से बात कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था।
प्रयागराज : प्रदेश भर में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में अस्थाई संविदा पर शिक्षकों की भर्ती तो की जा रही है, लेकिन योग्यता परखने के लिए तय किए समय से सवाल खड़े हो गए हैं। साक्षात्कार छह अक्टूबर से नौ अक्टूबर तक सुबह दस से शाम पांच बजे तक लिया जाएगा।
साहित्य एवं व्याकरण विषय के लिए साक्षात्कार लिया जाएगा, जबकि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से विशेषज्ञ न मिल पाने के कारण प्रयागराज में आधुनिक विषय का साक्षात्कार स्थगित कर दिया गया है। प्रदेश भर में जिलों में अस्थाई संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जो पांच सदस्यीय चयन समिति बनाई गई है, उसमें संबंधित अशासकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक अध्यक्ष हैं। इनके अलावा संबंधित जिले के जिलाधिकारी द्वारा नामित जनपदीय अधिकारी सदस्य, मंडलीय उप निरीक्षक संस्कृत पाठशालाएं सदस्य, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा नामित दो सदस्य एवं संबंधित जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक सदस्य सचिव हैं। साक्षात्कार में शिक्षकों की योग्यता परखने के लिए उदाहरण के रूप में प्रयागराज की स्थिति को समझना होगा। साहित्य एवं व्याकरण विषय के लिए कुल 1127 आवेदन मिले हैं, जिसमें से 90 निरस्त हो गए हैं। चार दिवसों में सुबह दस से शाम पांच बजे तक साक्षात्कार की अवधि में मध्याह्न अवकाश एवं भिन्न-भिन्न विद्यालयों के लिए एक के बाद दूसरे विद्यालय के साक्षात्कार बोर्ड का गठन भी किया जाता रहेगा। इयदि छह घंटे रोज साक्षात्कार होगा तो चार दिन में 24 घंटे यानी 1440 मिनट लगेंगे। इस 1440 मिनट में करीब 1027 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लिया जाना है।अब सवाल यह है कि लगभग इस डेढ़ मिनट में किसी शिक्षक की योग्यता कैसे परखी जाएगी? और वह कितनी न्यायसंगत होगी? इतने कम समय में शिक्षक के मूल्यांकन की प्रक्रिया को वायस आफ टीचर्स (वोट) के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य राजेश मिश्र ‘धीर’ ने त्रुटिपूर्ण, अव्यवहारिक, दोषपूर्ण एवं औपचारिक बताया है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एआर बोपन्ना की पीठ ने का कि इस अदालत द्वारा अपने कई फैसलों में दी गई व्यवस्था के मुताबिक अनुकंपा नियुक्ति लोक सेवाओं में नियुक्ति के सामान्य नियम का अपवाद है। पीठ ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर रोजगार देने का मकसद परिवार को संकट से उबरने में सक्षम बनाना है। इसका उदेश्य ऐसे परिवार को मृतक के पद से कम पद देना नहीं है। पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को रद करते हुए उप्र सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली। हाई कोर्ट ने चतुर्थ श्रेणी के एक कर्मचारी की विधवा को तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को भी बहाल किया, जिसे खंडपीठ ने रद कर दिया था। एकल पीठ ने तृतीय श्रेणी के पद के लिए महिला की उम्मीदवारी को खारिज कर दिया था, क्योंकि उसका पति चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी था
जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी समुदाय के लिए पदोन्नति में आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने कहा कि वह एक इस विवादास्पद मुद्दे पर फैसला करेगी कि आरक्षण नागराज मामले में दिए फैसले के अनुसार, एक समुचित अनुपात या प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता के आधार पर होना चाहिए।
पीठ ने कहा कि हम यह जानना चाह रहे हैं कि नागराज मामले में फैसले के बाद प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता का पता लगाने के लिए क्या किया गया है? अगर हम आरक्षण की पर्याप्तता का निर्धारण जनसंख्या के आधार पर करते हैं तो इसमें बड़ी खामियां हो सकती हैं। केंद्र को पर्याप्तता का अर्थ समझने के लिए दिमागी कसरत करनी चाहिए थी। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह ने कहा कि इसी कारण आनुपातिक परीक्षण लागू नहीं किया गया था।
इस पर पीठ ने कहा कि पदों पर रोस्टर तैयार होना चाहिए। यह एक मानदंड हो सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से आंकड़े कहीं भी मौजूद नहीं हैं। हम देखना चाहते हैं कि आरक्षण जारी रखने के लिए आपके पास क्या औचित्य है। इसके बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि वह आरक्षण जारी रखने के लिए आंकड़े और कारण पेश करेंगे।