इटावा के चकरनगर के कई गांव चंबल की चपेट में आकर डूब चुके हैं। इन गांवों के 200 से अधिक परिवार पलायन कर चुके हैं। वहीं, 3000 हजार की आबादी वाला हरौली बहादुरपुर गांव अपना अस्तित्व खो चुका है। जो लोग गांव छोड़कर नहीं गए वह जान बचाने के लिए घरों की छतों पर आसरा बनाए थे। प्रशासन ने यहां के सौ से अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंच दिया है। बुधवार शाम पानी बढ़ने से सौ से अधिक लोग टापू में घिर गए। सूचना पर गुरुवार को एनडीआरएफ की टीम पहुंची और बोट के जरिए दो दिनों से भूखे-प्यासे फंसे लोगों को सुरिक्षत स्थान पर पहुंचाया।
एनडीआरएफ के उप कमांडेंड नीरज कुमार के अनुसार यह लोग पानी से घिरे ऊंचे स्थान पर फंसे थे। अपना जीवन बचाने के लिए कई लोग पेड़ पर चढ़ गए थे और दो दिनों से भूखे प्यासे थे। उनकी टीम ने भोजन और पानी मुहैया कराया और फिर अपनी बोट पर बैठाकर यमुना और चंबल नदी के संगम की तेज़ धारा को पार कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। एसडीएम सत्य प्रकाश ने बताया कि हरौली बहादुरपुर के कुछ और लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।