अब संस्कृत के विद्यालयों की दशा सुधारने, विद्यालयों में विद्यार्थियों की नामांकन संख्या बढ़ाने, नए विद्यालयों की मान्यता और नियुक्ति के कामकाज तेजी

सब ठीक रहा तो संस्कृत शिक्षा निदेशालय आकार ले लेगा। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है। निदेशालय बन जाने से संस्कृत के विद्यालयों की दशा सुधारने, विद्यालयों में विद्यार्थियों की नामांकन संख्या बढ़ाने, नए विद्यालयों की मान्यता और नियुक्ति के कामकाज तेजी से हो सकेंगे। अभी संस्कृत विद्यालयों में पढ़ाई की जो स्थिति है, उससे शासन भी चिंतित है। इसी कारण विद्यालयों की संचालन व्यवस्था सुचारु रखने के लिए मानदेय पर शिक्षक नियुक्त किए जा रहे हैं।


प्रदेश में 567 संस्कृत विद्यालय हैं। इनमें से ज्यादातर में पढ़ाई की स्थिति चिंताजनक है। वजह, शिक्षकों की व्यापक स्तर पर कमी होना है। इसके कारण विद्यालयों में विद्यार्थियों की नामांकन संख्या भी कम है। अभी संस्कृत विद्यालयों की मान्यता, नियुक्ति आदि का कार्य माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के अधीन है, जो कि अपने ही माध्यमिक विद्यालयों की व्यवस्था बनाने में जूझता रहता है। इसके बावजूद उसके विद्यालयों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। स्थिति यह है विद्यालयों में रिक्तियों से जुड़े आकड़े अपडेट नहीं हैं। यह हकीकत एडेड माध्यमिक विद्यालयों के आनलाइन तबादले की प्रक्रिया के दौरान सामने भी आई। ऐसे में संस्कृत विद्यालयों की ओर उसका उतना फोकस नहीं हो पाता, जितना कि व्यवस्था सुधारने के लिए होना चाहिए। फिलहाल, शासन का मानना है कि मानदेय पर शिक्षक नियुक्त किए जाने के बाद संस्कृत विद्यालयों का संचालन कुछ हद तक सुधर सकेगा।

संस्कृत विद्यालयों के संचालन और पठन-पाठन की व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए मानदेय पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शासन के निर्देश पर शुरू हो गई है। यह नियुक्ति सत्र 2021-22 एवं 2022-23 के लिए की जा रही है। इस अवधि में जिन विद्यालयों में संस्कृत के स्थायी शिक्षक की नियुक्ति हो जाएगी, वहां मानदेय पर की गई नियुक्ति खत्म हो जाएगी। इसी बीच उप शिक्षा निदेशक संस्कृत, उत्तर प्रदेश ने संस्कृत निदेशालय बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। उप शिक्षा निदेशक संस्कृत सीएल चौरसिया ने निदेशालय का कार्य सुचारु रुप से चलाने के लिए 114 कर्मचारियों व अधिकारियों की मांग प्रस्ताव में की है। इधर, जानकारों का मानना है कि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत निदेशालय की मंजूरी मिलने में अड़चन नहीं आएगी।