युवा 22 हजार पदों को 69 हजार शिक्षक भर्ती में जोड़ने की मांग

टंकी पर चढ़ कर युवा 22 हजार पदों को 69 हजार शिक्षक भर्ती में जोड़ने की मांग कर रहे हैं। इन 22 हजार पदों को 69 हजार में जोड़ने का विरोध भी हो रहा है। आखिर पूरा प्रकरण क्या है, इसे समझने की जरूरत है। सबसे पहले तो यह समझने की जरूरत है कि जिन एक लाख पच्चीस हजार प्राथमिक शिक्षक पदों को योगी सरकार अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि बता रही है, दरअसल यह भर्ती उन रिक्त हुये पदों पर हो रही है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक लाख सैंतीस हजार शिक्षक बर्खास्त हुए थे, इसलिए समझना जरूरी है कि 68500, 69000 शिक्षक भर्ती पहले से रिक्त पड़े हुए शिक्षक पदों के लिए नहीं हुई थी। हद तो यह है कि बर्खास्तगी से रिक्त हुये शिक्षक पदों को भी अभी तक भरा नहीं गया है। इससें 68500 शिक्षक भर्ती में 22 हजार पद रिक्त हैं। लेकिन इस मामले में हाईकोर्ट में 30/33 व 40/45 कट ऑफ का वाद लंबित है। इस वाद के निस्तारण के बाद ही इन शेष बचे पदों पर कोई निर्णय संभव है। लेकिन हैरत की बात है कि सरकार की दिलचस्पी तो इसके निस्तारण की नहीं ही है बल्कि आंदोलन चलाने वाले युवा भी इसे मुद्दा नहीं बना रहे हैं जबकि न्यायालय में वाद के निस्तारण के बिना सरकार के लिए भी निर्णय लेना संभव नहीं है।  युवा मंच का मत है कि हाईकोर्ट में मामला का यथाशक्ति निस्तारण के बाद विधिक राय के अनुरूप इन 22 हजार पदों को भरा जायें, अन्यथा प्रकरण न्यायिक प्रक्रिया के पचड़े में उलझ कर रह जायेगा। जहां तक 97 हजार शिक्षक भर्ती का मुद्दा है, तो इसका वादा सरकार ने किया था। दरअसल इससे कहीं ज्यादा रिक्त पद प्राथमिक विद्यालयों में हैं। लेकिन योगी सरकार युवाओं को वापस में एक दूसरे के विरुद्ध खड़ा करने की कोशिश में है। 
 आज युवाओं की एकजुटता की जरूरत है। इसी के तहत 1 सितंबर को प्रयागराज में रोजगार आंदोलन का आगाज किया जा रहा है और इसकी तैयारी के क्रम में हैशटैग
#रोजगार_आंदोलन_1सितंबर2021 के साथ 20 अगस्त को 11 बजे से ट्विटर कैंपेन होगा। रोजगार आंदोलन ही झूठ व फर्जी आंकड़ों पर आधारित मिशन रोजगार के प्रोपेगैंडा का जवाब होगा और सरकार पर प्रदेश में 5 लाख  रिक्त पदों को भरने के लिए दबाव बनाया जा सकता है।