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आज शिक्षामित्र मना रहे काला दिवस, यहां पढ़ें शिक्षामित्रों के मामले में कब क्या हुआ

आज के ही दिन 12 सितम्बर, 2015- हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन को अवैध ठहराते हुए समायोजन रद्द किया था। 12सितम्बर2015 को अवकाश के दिन -शनिवार को इलाहाबाद कोर्ट खोलकर जो शिक्षामित्र समायोजन निरस्त होने का आदेश जो सुनाया गया।

ठीक 11 बजकर कुछ मिनट पर आदेश आया। Tv पर पट्टी चलने लगी।

हमारे साथियों की सांसें अटकने लगीं। और देखते ही सब कुछ खत्म हो गया और हम सब टूटते चले गए। और लास्ट में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सही ठहराया। तब से लेकर आज तक 12 सितम्बर हमारे लिए काले दिवस के समान है।

अब सरकार से क्या उम्मीद करें वो क्या सोचती है हमारे बारे में वही जाने

यहां पढ़ें शिक्षामित्रों के मामले में कब क्या हुआ👇

26 मई, 1999 -सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 11 महीने की संविदा पर बारहवीं पास शिक्षामित्रों को रखने की शुरुआत हुई।

4 अगस्त, 2009- शिक्षा का अधिकार कानून लागू। बुनियादी शिक्षा में अप्रशिक्षित शिक्षकों के पढ़ाने पर रोक।

2 जून, 2010- शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर रोक लगी।

11 जुलाई, 2011- तत्कालीन बसपा सरकार ने प्रदेश में कार्यरत लगभग पौने दो लाख शिक्षामित्रों को दूरस्थ विधि से बीटीसी का दो वर्षीय प्रशिक्षण देने का फैसला किया।

19 जून, 2014 - तत्कालीन सपा सरकार ने पहले चरण में प्रशिक्षित 58 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने का आदेश जारी किया

8 अप्रैल, 2015- दूसरे चरण में प्रशिक्षित लगभग 90 हजार शिक्षामित्रों के समायोजन के आदेश जारी

12 सितम्बर, 2015- हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन को अवैध ठहराते हुए इसे रद्द किया।

7 दिसम्बर, 2015 - सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई और बचे हुए शिक्षामित्रों के समायोजन पर भी रोक लगाई।

25 जुलाई, 2017 - सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया है। लेकिन शिक्षामित्र तत्काल नहीं हटाए जाएंगे। कोर्ट के अनुसार शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा में बैठना होगा और उन्हें लगातार दो प्रयासों में यह परीक्षा पास करनी होगी। शिक्षक भर्ती परीक्षा में शिक्षामित्रों को अध्यापन अनुभव का वेटेज तथा उम्र सीमा में रियायत दी जा सकती है।

Shikshamitra News : नहीं चाहिए एक हजार रुपए, बनाएं स्थायी शिक्षक

 Shikshamitra News : नहीं चाहिए एक हजार रुपए, बनाएं स्थायी शिक्षक

शिक्षामित्र बोले-नहीं चाहिए एक हजार रुपये, बनाएं स्थायी शिक्षक

अलीगढ़ : शासन की ओर से शिक्षामित्रों का मानदेय 500 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक बढ़ाने की बात कही गई है। मगर शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारी सरकार के इस फैसले को लालीपाप करार दे रहे हैं। इनका कहना है कि शिक्षामित्रों को एक हजार रुपये का लालीपाप नहीं चाहिए, स्थायी शिक्षक का पद चाहिए। चेतावनी भी दी है कि ऐसा नहीं किया गया तो इसका जवाब दिया जाएगा। सभी शिक्षामित्र एकजुट हैं।


शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष चौधरी ऋषिपाल सिंह ने कहा कि शिक्षामित्रों को 500 या एक हजार रुपये बढ़ा मानदेय नहीं चाहिए। लंबे समय से शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षक बनाने की मांग की जा रही है। इसको न मानकर सरकार शिक्षामित्रों को लालीपाप दिखा रही है। बताया कि जिले में करीब 2560 शिक्षामित्र सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पिछले कई दिनों से मांग पूरी न होने के विरोध में कालीपट्टी बांधकर शिक्षण कार्य कराया जा रहा है। चेतावनी दी कि अगर शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षक बनाने की मांग न पूरी की गई तो शिक्षामित्र आंदोलन को बाध्य होंगे। बताया कि पहले शिक्षामित्रों का मानदेय 3500 रुपये था, जिसको बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया गया। अभी पिछले चार सालों से मानदेय में बढ़ोतरी नहीं की गई है। अब जब शिक्षामित्रों को स्थायी करने की मांग उठाई तो मानदेय बढ़ाने की बात की जा रही है। यह शिक्षामित्रों के साथ सरासर सरकार का धोखा है। चेतावनी भी दी है कि अगर सरकार ने शिक्षामित्रों को नियमित नहीं किया तो अगले साल चुनाव में इसका जवाब दिया जाएगा। अब तक बहुत उत्पीड़न सहन कर लिया है। अब नहीं सहन नहीं किया जाएगा। सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिससे शिक्षामित्र स्थायी शिक्षक बन सकें। ऐसा करने पर शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षक बनाने से कानूनी बाधा आड़े नहीं आएगी और कोई अदालत का दरवाजा भी खटखटा पाएगा।




इन शिक्षामित्र समेत शिक्षकों को मिलेगी अनुग्रह राशि

Shiksha Mitra News, फतेहपुर। पंचायत चुनाव में कोरोना संक्रमित होने से जान गंवाने वाले 25 शिक्षकों में से सिर्फ 12 को अनुग्रह राशि मिलेगी। इनमें दो शिक्षामित्र शामिल हैं। शासन ने पंचायत चुनाव ड्यूटी के 30 दिन के अंदर जान गंवाने वाले शिक्षकों को अनुग्रह राशि देने का निर्णय लिया है। कोरोना जांच कराए बिना जान गंवाने वाले शिक्षकों को योजना से बाहर कर दिया गया है।

पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के बाद संक्रमित होकर जान गंवाने वाले कर्मचारियों को शासन ने 30 लाख की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया था। जिले में 25 शिक्षकों की मौत हुई थी। बेसिक शिक्षा विभाग ने सूची का सत्यापन कराया। इसमें कई शिक्षकों की मौत कोरोना जांच कराने से पहले और कई की प्रशिक्षण में शामिल होने के बाद चुनाव ड्यूटी में नहीं पहुंचने का पता चला। ऐसे शिक्षकों को शासन ने अनुग्रह राशि के लिए अपात्र घोषित कर दिया है।

अनुग्रह राशि पाने से पात्र शिक्षक और शिक्षामित्रों में उच्च प्राथमिक खैरहा के शिक्षक सीताराम पाल, उच्च प्राथमिक दुबेपुर के राजकुमार, उच्च प्राथमिक कुंभीपुर के दिनेश पाल, उच्च प्राथमिक चकभुनगापुर के विकास पटेल, प्राथमिक विद्यालय कुंवरपुर के सुरेश सिंह, प्राथमिक विद्यालय रेवाड़ी के पूनम परिहार, उच्च प्राथमिक विद्यालय महरहा के दिनेशचंद्र गुप्ता, प्राथमिक विद्यालय भैरवकला के लल्लन, उच्च प्राथमिक विद्यालय छतवापुर के विनय कुमार, प्राथमिक विद्यालय गढ़ी के शिक्षक इंद्रजीत, प्राथमिक विद्यालय लाला का पुरवा के शिक्षामित्र रामचंद्र और प्राथमिक विद्यालय सनगांव की शिक्षामित्र कनीज फात्मा शामिल हैं।
बीएसए संजय कुशवाहा ने बताया कि जिले में दो शिक्षामित्र समेत 12 शिक्षकों का चयन अनुग्रह राशि के लिए किया गया है। राशि हस्तांतरित करने के लिए इनके आश्रितों से आवश्यक अभिलेख जमा कराए जा रहे हैं। जल्द ही सभी के खाते में धनराशि पहुंच जाएगी।

शिक्षामित्र का कहना- स्थायी समाधान करे सरकार, मानदेय बढ़ाने से नहीं पूरी संतुष्टि

Shiksha Mitra News: संभल समायोजन बहाल करने की मांग उठा रहे शिक्षामित्रों ने मानदेय बढ़ाने के शासन के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। शिक्षामित्रों का कहना है कि समायोजन रद्द होने के बाद से शिक्षामित्र लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकार को चाहिए कि स्थायी समाधान किया जाए। जिससे शिक्षामित्रों के परिवार की गुजर हो सके।

ऐसे मानदेय बढ़ाने से कोई राहत नहीं मिलने वाली है। उनका कहना है कि बहाली की लड़ाई लड़ते लड़ते कितने शिक्षामित्रों की जान चली गई। इसके बाद भी सरकार ने समाधान नहीं किया। शासन की ओर से शिक्षामित्रों के एक हजार बढ़ाने जाने का प्रस्ताव तैयार हुआ है। जल्द मुख्यमंत्री इसके लिए घोषणा कर सकते हैं। मानदेय बढ़ने की घोषणा की सूचना मिलते ही शिक्षामित्रों ने फिर से अपनी मांग को दोहराना शुरू कर दिया है। संभल जिले में करीब 1648 शिक्षामित्र हैं।

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Shikshamitra News : शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ा, अनुदेशकों, रसोइयों का भी मानदेय बढ़ा, सरकार का लॉलीपॉप

  शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ा, अनुदेशकों, रसोइयों का भी मानदेय बढ़ा, सरकार का लॉलीपॉप

शिक्षामित्र कलंक को मिटाने और खुद को साबित करने के लिए तमाम जिम्मेदारियां संभालते हुए काम कर रहे, चार महीने से नहीं मिला मानदेय

आगरा: उनके कंधों पर शिक्षकों की कमी से जूझ रही प्राथमिक शिक्षा के स्तर को बढ़ाने की जिम्मेदारी है। सीमित संसाधनों और अल्प मानदेय में भी वह माथे पर लगे अयोग्यता के कलंक को मिटाने और खुद को साबित करने के लिए शिक्षकों की तरह ही तमाम जिम्मेदारियां संभालते हुए काम कर रहे है। बावजूद इसके उनकी सुनने वाला कोई नहीं। यह आज भी खुद के वजूद को तलाश रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं शिक्षामित्रों की जो शिक्षकों की कमी से जूझ रहे परिषदीय विद्यालयों के संचालन में एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। नगर क्षेत्र के कई विद्यालय तो सिर्फ इन्हीं के हवाले हैं, बावजूद इसके न तो इन्हें मिलने वाला 10 हजार का अल्प मानदेय ही समय पर मिलता है, न ही समायोजन रद होने के बाद दोबारा शिक्षामित्र बनाए गए इन लोगों के लिए शासन अब तक कोई ठोस व्यवस्था ही नहीं तलाश पाई है।

1999 में मिली थी तैनाती शिक्षा मित्रों की तैनाती बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए वर्ष 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने शिक्षामित्र योजना के अंतर्गत की थी। धीरे-धीरे यह व्यवस्था का अहम हिस्सा बन गए, टेस्टिंग में सफल रहने पर वर्ष 2004, 2005 और 2006 में प्रत्येक विद्यालय में दो-दो शिक्षामित्रों की नियुक्ति सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत की गई।

लंबी जद्दोजहद और संघर्ष के बाद वह वर्ष 2014 में शिक्षक पद पर समायोजित हुए, लेकिन वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अयोग्य बताते हुए समायोजन रद कर दिया। शिक्षण योग्यता के भारांक से हालांकि कुछ शिक्षा मित्र मेहनत व योग्यता के दम पर शिक्षक बनने में सफल रहे। 68500 शिक्षक भर्ती में 183 और 69 हजार शिक्षक भर्ती में 156 शिक्षा मित्रों का शिक्षक पद पर चयन हुआ लेकिन, करीब ढाई हजार शिक्षा मित्रों का संघर्ष अब भी जारी है।




यह है जिले की स्थिति

जिले में कुल 2491 परिषदीय विद्यालय हैं, जिनमें 1625 प्राथमिक और 434 उच्च प्राथमिक, 432 कंपोजिट और 61 सहायता प्राप्त विद्यालय हैं। इनमें दो लाख 69 हजार विद्यार्थी पंजीकृत हैं। जिले में करीब 10 हजार शिक्षक हैं, जबकि जिले में नी शिक्षामित्र बेसिक शिक्षा योजनातर्गत, जबकि करीब 2500 शिक्षा मित्र सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत कार्यरत है, जो अब समग्र शिक्षा योजना नाम से प्रचलित है।

चार महीने से नहीं मिला मानदेय

प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र कर का कहना है कि शिक्षामित्रों को लेकर शासन हमेशा ही उदासीन रही। समायोजन रद होने के बाद राहत देने का आश्वासन जरूर मिला। सरकार के पांच साल पूरे होने को हैं, लेकिन अब तक उनकी सुनवाई नहीं हुई। उन्हें मिलने वाला मानदेय भी पिछले चार महीनों से नहीं मिल सका है लाकडाउन में भी यह शिक्षकों की तरह नियमित रूप से विद्यालय गए, मोहल्ला कक्षाएं लगाई, राशन वितरण से लेकर बीएलओ और चुनाव ड्यूटी तक करीब 13 जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं।

बीटीसी शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार से शिक्षा मित्रों को नियमित करने की मांग की

लखनऊ। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार से शिक्षा मित्रों को नियमित करने की मांग की है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि प्रदेश में राज्य सरकार ने बीते 21 सालों से शिक्षा मित्रों के साथ केवल छलावा किया है। अब भाजपा सरकार शिक्षा मित्रों के धैर्य की परीक्षा न ले। उन्होंने कहा कि

भाजपा सरकार को शिक्षा मित्रों से संकल्प पत्र में किया गया वादा पूरा करना चाहिए। जुलाई 2017 में सहायक अध्यापक पद से समायोजन निरस्त होने से अब तक दो हजार से अधिक शिक्षा मित्रों की मृत्यु हो चुकी है। पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान भी करीब दो सौ शिक्षा मित्रों की मौत हुई थी। सरकार ने चुनाव ड्यूटी में जान गंवाने वाले शिक्षा मित्रों के आश्रितों को भी नौकरी देने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं होने से शिक्षा मित्रों में रोष व्याप्त है । यादव ने शिक्षा मित्रों के मानदेय बढ़ाने के लिए दिए गए बजट को भी ऊंट के मुंह में जीरा बताया है।

गैरहाजिर रहने पर दो शिक्षकों व एक शिक्षामित्र का वेतन बीएसए ने रोका

बलरामपुर। एक माह से बिना सूचना स्कूल से अनुपस्थित रहना दो शिक्षक व एक शिक्षामित्र को भारी पड़ गया। बीएसए ने इनका तत्काल अग्रिम आदेश तक येतन रोकते हुए स्पष्टीकरण मांगा है। मामला शिक्षा क्षेत्र तुलसीपुर के कंपोजिट विद्यालय रामगढ़ मैटहवा का है।

यहां तैनात सहायक शिक्षक शुभम श्रीवास्तव एवं वर्षा श्रीवास्तव की शिकायत ग्राम प्रधान तुलाराम ने की थी। कहा था कि कम्पोजिट विद्यालय में सहायक अध्यापक शुभम एवं वर्षा बिना किसी सूचना के छह अगस्त से लगातार अनुपस्थित हैं। वही शिक्षामित्र चंद्रावती भी 18 अगस्त से लगातार विद्यालय नहीं आ रही हैं। बेसिक शिक्षाधिकारी डा. रामचंद्र ने दोनों शिक्षकों का वेतन एवं शिक्षामित्र का मानदेय अग्रिम आदेश तक रोक दिया है। साथ ही उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। कहा है कि संतोषजनक स्पष्टीकरण न मिलने पर विभागीय विधिक कार्रवाई की जाएगी।

योगी सरकार शिक्षामित्रों का दूसरी बार बढ़ा रही मानदेय

लखनऊ : अगस्त माह में आए अनुपूरक बजट पर अमल होने जा रहा है। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में कार्यरत शिक्षामित्रों का चार साल में दूसरी बार मानदेय बढ़ रहा है। शिक्षामित्रों का 1000, अनुदेशक व रसोइयों का मानदेय 500-500 रुपये बढ़ सकता है। इसी माह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बढ़े मानदेय का ऐलान करेंगे। मुख्यमंत्री सचिवालय आयोजन की तैयारियों में जुट गया है। बजट आवंटन होने के बाद विभाग अक्टूबर से बढ़ा हुआ मानदेय भुगतान करने की तैयारी कर रहा है।

योगी सरकार ने अनुपूरक बजट में बेसिक शिक्षा विभाग में संविदा पर कार्यरत संवर्गों का मानदेय बढ़ाने का ऐलान किया था, मानदेय कितना बढ़ेगा इस पर संशय बना था। असल में शीर्ष कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद कर दिया था। उस समय शिक्षामित्रों को महज 3500 रुपये मानदेय मिल रहा था। प्रदेश सरकार ने सभी शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाकर 10 हजार रुपये महीना किया था। शिक्षामित्र इतने पर भी सहमत नहीं थे करीब चार साल से 1.30 लाख शिक्षामित्र लगातार मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे थे। वह अब पूरी होने जा रही है।

परिषदीय स्कूलों में ही कार्यरत 30 हजार अनुदेशकों का मानदेय 2017 में घटाया गया था। अनुदेशकों का मानदेय भी चार साल से नहीं बढ़ा है। अनुदेशकों का मानदेय 500 से 1000 रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। संकेत हैं कि 500 रुपये के आसपास मानदेय बढ़ सकता है।

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के रसोइयों का मानदेय भी 500 रुपये तक बढ़ाने की चर्चा है। बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने बताया कि मानदेय बढ़ना तय है, कितना बढ़ेगा यह घोषणा मुख्यमंत्री करेंगे।

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Shikshamitra News : मानदेय पर बहुत बड़ी खुशखबरी, शिक्षा मित्र लेटेस्ट न्यूज़

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