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शिक्षकों व कर्मियों ने पांच माह से बकाया वेतन भुगतान की मांग को मंगलवार को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ज्ञापन सौंपा

महराजगंज। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के शिक्षकों व कर्मियों ने पांच माह से बकाया वेतन भुगतान की मांग को मंगलवार को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी से उनके आवास पर मुलाकात की तथा ज्ञापन सौंपा।



केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री से मिले शिक्षकों ने कहा कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा संचालित होने वाले जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में कार्यरत प्रवक्ताओं व अन्य कर्मचारियों को पिछले पांच माह से अब तक वेतन नहीं दिया गया है। वेतन न मिलने से जहां शिक्षक व कर्मचारी भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं वहीं, उनके बच्चों की शिक्षा-दीक्षा व भरण पोषण की व्यवस्था में भी कठिनाइयां उत्पन्न हो रही हैं। शिक्षकों व कर्मियों के साथ-साथ उनके परिवार के हितों को ध्यान में रखते हुए अविलंब वेतन का भुगतान कराया जाए। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने उनकी समस्याओं को दूर कराने को लेकर आवश्यक कदम उठाए जाने का आश्वासन दिया है।

केंद्रीय मंत्री को ज्ञापन देने के दौरान अर्जुन शाही, रामजी, महाकालेश्वर पांडेय, आशीष मौर्य, दिव्या गुप्ता, पूजा चौधरी, मनीष प्रजापति, सूरज प्रकाश, संजय कुमार, डॉ. अरशद जमील, अभिमन्यु नायक, गोले त्रिपाठी, संजय आदि मौजूद रहे।

जूनियर हाई स्कूल प्रधानाध्यापक/सहायक अध्यापक चयन परीक्षा वर्ष 2021 के संदर्भ में आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी, देखें

जूनियर हाई स्कूल प्रधानाध्यापक/सहायक अध्यापक चयन परीक्षा वर्ष 2021 के संदर्भ में आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी, देखें 

बुधवार छह अक्तूबर को पितृ विसर्जन अमावस्था पर बेसिक शिक्षा परिषद के सभी स्कूल बंद रहेंगे

बरेली। बुधवार छह अक्तूबर को पितृ विसर्जन अमावस्था पर बेसिक शिक्षा परिषद के सभी स्कूल बंद रहेंगे। मंगलवार को पूरे दिन शिक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुपों पर बहस चलती रही कि पितृ विसर्जन अमावस्या पर स्कूलों में छुट्टी रहेगी या नहीं। दरअसल, यह असमंजस इसलिए पैदा हुआ क्योंकि बेसिक शिक्षा परिषद की 2021 को अवकाश तालिका में पितृ विसर्जन अमावस्या का अवकाश शामिल नहीं है।
 

परिषद के सचिव की सूची में भी यह अवकाश नहीं था, जबकि डीएम की सूची में छह अक्तूबर का अवकाश दर्ज है। बीएसए विनय कुमार ने बताया कि छह अक्तूबर को अवकाश रहेगा। इसे लेकर यूटा के जिला उपाध्यक्ष सत्येंद्र पाल सिंह, महिला शिक्षक संघ की जिलाध्यक्ष रुचि सैनी और शिक्षक नेता हरीश बाबू शर्मा ने भी अधिकारियों से बात कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था।

गुरुजी की योग्यता परखने को डेढ़ मिनट, संविदा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर सवाल

प्रयागराज : प्रदेश भर में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में अस्थाई संविदा पर शिक्षकों की भर्ती तो की जा रही है, लेकिन योग्यता परखने के लिए तय किए समय से सवाल खड़े हो गए हैं। साक्षात्कार छह अक्टूबर से नौ अक्टूबर तक सुबह दस से शाम पांच बजे तक लिया जाएगा।


साहित्य एवं व्याकरण विषय के लिए साक्षात्कार लिया जाएगा, जबकि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से विशेषज्ञ न मिल पाने के कारण प्रयागराज में आधुनिक विषय का साक्षात्कार स्थगित कर दिया गया है। प्रदेश भर में जिलों में अस्थाई संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जो पांच सदस्यीय चयन समिति बनाई गई है, उसमें संबंधित अशासकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक अध्यक्ष हैं। इनके अलावा संबंधित जिले के जिलाधिकारी द्वारा नामित जनपदीय अधिकारी सदस्य, मंडलीय उप निरीक्षक संस्कृत पाठशालाएं सदस्य, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा नामित दो सदस्य एवं संबंधित जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक सदस्य सचिव हैं। साक्षात्कार में शिक्षकों की योग्यता परखने के लिए उदाहरण के रूप में प्रयागराज की स्थिति को समझना होगा। साहित्य एवं व्याकरण विषय के लिए कुल 1127 आवेदन मिले हैं, जिसमें से 90 निरस्त हो गए हैं। चार दिवसों में सुबह दस से शाम पांच बजे तक साक्षात्कार की अवधि में मध्याह्न अवकाश एवं भिन्न-भिन्न विद्यालयों के लिए एक के बाद दूसरे विद्यालय के साक्षात्कार बोर्ड का गठन भी किया जाता रहेगा। इयदि छह घंटे रोज साक्षात्कार होगा तो चार दिन में 24 घंटे यानी 1440 मिनट लगेंगे। इस 1440 मिनट में करीब 1027 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लिया जाना है।अब सवाल यह है कि लगभग इस डेढ़ मिनट में किसी शिक्षक की योग्यता कैसे परखी जाएगी? और वह कितनी न्यायसंगत होगी? इतने कम समय में शिक्षक के मूल्यांकन की प्रक्रिया को वायस आफ टीचर्स (वोट) के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य राजेश मिश्र ‘धीर’ ने त्रुटिपूर्ण, अव्यवहारिक, दोषपूर्ण एवं औपचारिक बताया है।

पदोन्नति में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, प्रतिनिधित्व निर्धारण के लिए क्या किया

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से उन कदमों की जानकारी मांगी, जो केंद्रीय नौकरियों में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का आकलन करने के लिए उठाए गए हैं। पीठ ने सरकार से कहा कि एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए साल 2006 के नागराज मामले में संविधान पीठ के फैसले का पालन करने के लिए की गई कवायद की जानकारी उपलब्ध कराए।



जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी समुदाय के लिए पदोन्नति में आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने कहा कि वह एक इस विवादास्पद मुद्दे पर फैसला करेगी कि आरक्षण नागराज मामले में दिए फैसले के अनुसार, एक समुचित अनुपात या प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता के आधार पर होना चाहिए।

पीठ ने कहा कि हम यह जानना चाह रहे हैं कि नागराज मामले में फैसले के बाद प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता का पता लगाने के लिए क्या किया गया है? अगर हम आरक्षण की पर्याप्तता का निर्धारण जनसंख्या के आधार पर करते हैं तो इसमें बड़ी खामियां हो सकती हैं। केंद्र को पर्याप्तता का अर्थ समझने के लिए दिमागी कसरत करनी चाहिए थी। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह ने कहा कि इसी कारण आनुपातिक परीक्षण लागू नहीं किया गया था।

इस पर पीठ ने कहा कि पदों पर रोस्टर तैयार होना चाहिए। यह एक मानदंड हो सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से आंकड़े कहीं भी मौजूद नहीं हैं। हम देखना चाहते हैं कि आरक्षण जारी रखने के लिए आपके पास क्या औचित्य है। इसके बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि वह आरक्षण जारी रखने के लिए आंकड़े और कारण पेश करेंगे।