कोरोना महामारी के चलते विमानन क्षेत्र में आने वाले दो साल बेहद मुश्किल भरे रहने वाले हैं। पूरे क्षेत्र में प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर करीब 75 लाख नौकरियां खतरे में आ गई हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का मानना है कि संक्रमण की मौजूदा रफ्तार को देखते हुए ये हालात सामान्य होने में दो साल तक का समय लग सकता है।
यही नहीं, एजेंसी की तरफ ये आशंका भी जाहिर की गई है कि अगर कोरोना की रफ्तार सुस्त नहीं हुई और ये लॉकडाउन जून के बाद भी जारी रहा तो विमानन क्षेत्र में लोगों की नौकरियों पर संकट भी उसी तुलना में गहराएगा। विमानन क्षेत्र से जुड़े होटल, ट्रैवेल, टैक्सी और दूसरे तमाम तरह के रोजगारों पर ये संकट के बादल छाए हुए हैं। लॉकडाउन से हवाई सेवाएं पूरी तरह *बंद हैं। ऐसे में इन सभी स्वरोजगार से जुड़े तमाम लोगों की आय का साधन भी बंद है।
मुश्किल दिनों का एक और वार : जो लोग नौकरियों से जुड़े हैं, उन्हें भी कॉस्ट कटिंग झेलनी पड़ रही है। आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020 में करीब साढ़े चौतीस करोड़ लोगों ने हवाई यात्रा की थी, लेकिन इस साल पहली तिमाही में कंपनियां बेहद बुरे दौर से गुजर रही हैं। इस पूरे सेक्टर पर आर्थिक सुस्ती का साया पिछले करीब एक साल से ही छाया था। सरकार की उड़ान स्कीम से जरूर कुछ राहत मिली थी लेकिन अब सारे विमान जमीन पर ही खड़े हैं। सालाना आमदनी के आंकड़ों की बात की जाए तो पूरे सेक्टर में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की आय 11 हजार करोड़ रुपये, निजी एयरपोर्ट की आय साढ़े ग्यारह करोड़ और एयरलाइन कंपनियों की आय तकरीबन 70 हजार करोड़ रुपये होती है। ऐसे में साल की पहली तिमाही में कुल घाटा साढ़े 24 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का हो सकता है। वहीं अगर हालात दूसरी तिमाही से सुधरने नहीं शुरू हुए तो घाटा और भी बढ़ना तय है।
आधी क्षमता पर ही कारोबार: हवाई जहाज सिर्फ 50-60 फीसदी क्षमता पर ही उड़ान भर पाएंगे। लोग हवाई सफर की तरफ रुख कम करेंगे।
इसका नुकसान कंपनियों को उड़ान के दौरान यात्रियों से होने वाली प्रति किलोमीटर आय में भी उठाना पड़ेगा। घाटा होने के चलते स्टाफ में कटौती, सैलरी की ‘रीस्ट्रक्चरिंग' करना कंपनियों की मजबूरी हो जाएगी। साथ ही कई रूट की उड़ानों को भी रद्द करना पड़ सकता है। भविष्य की क्षमता *विस्तार की योजनाएं भी कंपनियों को टालनी पड़ेंगी।
यही नहीं, एजेंसी की तरफ ये आशंका भी जाहिर की गई है कि अगर कोरोना की रफ्तार सुस्त नहीं हुई और ये लॉकडाउन जून के बाद भी जारी रहा तो विमानन क्षेत्र में लोगों की नौकरियों पर संकट भी उसी तुलना में गहराएगा। विमानन क्षेत्र से जुड़े होटल, ट्रैवेल, टैक्सी और दूसरे तमाम तरह के रोजगारों पर ये संकट के बादल छाए हुए हैं। लॉकडाउन से हवाई सेवाएं पूरी तरह *बंद हैं। ऐसे में इन सभी स्वरोजगार से जुड़े तमाम लोगों की आय का साधन भी बंद है।
मुश्किल दिनों का एक और वार : जो लोग नौकरियों से जुड़े हैं, उन्हें भी कॉस्ट कटिंग झेलनी पड़ रही है। आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020 में करीब साढ़े चौतीस करोड़ लोगों ने हवाई यात्रा की थी, लेकिन इस साल पहली तिमाही में कंपनियां बेहद बुरे दौर से गुजर रही हैं। इस पूरे सेक्टर पर आर्थिक सुस्ती का साया पिछले करीब एक साल से ही छाया था। सरकार की उड़ान स्कीम से जरूर कुछ राहत मिली थी लेकिन अब सारे विमान जमीन पर ही खड़े हैं। सालाना आमदनी के आंकड़ों की बात की जाए तो पूरे सेक्टर में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की आय 11 हजार करोड़ रुपये, निजी एयरपोर्ट की आय साढ़े ग्यारह करोड़ और एयरलाइन कंपनियों की आय तकरीबन 70 हजार करोड़ रुपये होती है। ऐसे में साल की पहली तिमाही में कुल घाटा साढ़े 24 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का हो सकता है। वहीं अगर हालात दूसरी तिमाही से सुधरने नहीं शुरू हुए तो घाटा और भी बढ़ना तय है।
आधी क्षमता पर ही कारोबार: हवाई जहाज सिर्फ 50-60 फीसदी क्षमता पर ही उड़ान भर पाएंगे। लोग हवाई सफर की तरफ रुख कम करेंगे।
इसका नुकसान कंपनियों को उड़ान के दौरान यात्रियों से होने वाली प्रति किलोमीटर आय में भी उठाना पड़ेगा। घाटा होने के चलते स्टाफ में कटौती, सैलरी की ‘रीस्ट्रक्चरिंग' करना कंपनियों की मजबूरी हो जाएगी। साथ ही कई रूट की उड़ानों को भी रद्द करना पड़ सकता है। भविष्य की क्षमता *विस्तार की योजनाएं भी कंपनियों को टालनी पड़ेंगी।
उच्चतम न्यायालय ने बिहार सेवा चयन आयोग को निर्देश दिया है कि वह 2012 और 2103 में आयोजित की गई चयन परीक्षाओं का फिर से मूल्यांकन करे और उसका परिणाम प्रकाशित करे। कोर्ट ने यह आदेश विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के बाद दिया है, जिसमें समिति ने पाया था कुछ सवाल गलत थे और कुछ के एक से ज्यादा जवाब हो सकते हैं।
कोर्ट ने कहा कि जो नियुक्तियां (हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश के तहत) हो चुकी हैं, उन्हें नहीं छेड़ा जाएगा। जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश देकर सेवा आयोग से कहा कि यदि मूल्यांकन के बाद उम्मीदवारों कि संख्या रिक्तियों से ज्यादा हो जाती हैं तो बचे उम्मीदवारों को 31.12.2019 में पैदा होने वाली भविष्य की रिक्तियों में समायोजित किया जाए। मामले के अनुसार बिहार सरकार ने विभिन्न विभागों के लिए वर्ग 3 के पदों पर 2010 में 1,569 रिक्तियां निकालीं। अप्रैल 2012 में प्री परीक्षा का नतीजा घोषित हुआ, जिसे कई उम्मीदवारों ने कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि परीक्षा में कुछ सवाल गलत हैं। उच्च न्यायालय ने पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया और इसमें 27,000 से ज्यादा उम्मीदवार सफल हो गए। इस बीच रिक्तियों कि संख्या 3,200 से ज्यादा हो गई। 2013 ने मुख्य परीक्षा हुई और नतीजे आए। 915 उम्मीदवारों को नियुक्त कर दिया गया। इस बीच मामला खंडपीठ में चला गया और खंडपीठ ने वरिष्ठता पर भी आदेश दे दिया।इनके खिलाफ सेवा आयोग ने उच्चतम न्यायालय में अपील की। इस पोस्ट का कंटेंट यहाँ से लिया गया है
कोर्ट ने कहा कि जो नियुक्तियां (हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश के तहत) हो चुकी हैं, उन्हें नहीं छेड़ा जाएगा। जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश देकर सेवा आयोग से कहा कि यदि मूल्यांकन के बाद उम्मीदवारों कि संख्या रिक्तियों से ज्यादा हो जाती हैं तो बचे उम्मीदवारों को 31.12.2019 में पैदा होने वाली भविष्य की रिक्तियों में समायोजित किया जाए। मामले के अनुसार बिहार सरकार ने विभिन्न विभागों के लिए वर्ग 3 के पदों पर 2010 में 1,569 रिक्तियां निकालीं। अप्रैल 2012 में प्री परीक्षा का नतीजा घोषित हुआ, जिसे कई उम्मीदवारों ने कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि परीक्षा में कुछ सवाल गलत हैं। उच्च न्यायालय ने पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया और इसमें 27,000 से ज्यादा उम्मीदवार सफल हो गए। इस बीच रिक्तियों कि संख्या 3,200 से ज्यादा हो गई। 2013 ने मुख्य परीक्षा हुई और नतीजे आए। 915 उम्मीदवारों को नियुक्त कर दिया गया। इस बीच मामला खंडपीठ में चला गया और खंडपीठ ने वरिष्ठता पर भी आदेश दे दिया।इनके खिलाफ सेवा आयोग ने उच्चतम न्यायालय में अपील की। इस पोस्ट का कंटेंट यहाँ से लिया गया है
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि देश भर में सीबीएसई के तीन हजार स्कूलों को उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्याकंन केंद्र के रूप में चिह्नित किया गया है।
उन्होंने ट्वीट कर अनुमति देने के लिए गृह मंत्री अमित शाह का अभार प्रकट किया। निशंक ने कहा कि *छात्रों की उत्तर पुस्तिका, मूल्यांकन *केंद्र से अध्यापकों के घर भेजी *जाएगी और उन्हीं के घर में ही मूल्यांकन किया जाएगा।
1.5 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन जल्दी करेंगे : मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि मुझे विश्वास है कि हम 173 विषयों की 1.5 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन जल्दी करेंगे और जैसे ही 29 विषयों की परीक्षाएं 1 से 15 जुलाई के बीच में संपन्न होगी। उनके मूल्याकंन के बाद शीघ्र ही परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। इस पोस्ट का कंटेंट यहाँ से लिया गया है
उन्होंने ट्वीट कर अनुमति देने के लिए गृह मंत्री अमित शाह का अभार प्रकट किया। निशंक ने कहा कि *छात्रों की उत्तर पुस्तिका, मूल्यांकन *केंद्र से अध्यापकों के घर भेजी *जाएगी और उन्हीं के घर में ही मूल्यांकन किया जाएगा।
1.5 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन जल्दी करेंगे : मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि मुझे विश्वास है कि हम 173 विषयों की 1.5 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन जल्दी करेंगे और जैसे ही 29 विषयों की परीक्षाएं 1 से 15 जुलाई के बीच में संपन्न होगी। उनके मूल्याकंन के बाद शीघ्र ही परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। इस पोस्ट का कंटेंट यहाँ से लिया गया है
जेएनयू ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक नया अकादमिक कैलेंडर जारी कर दिया है। इसके तहत कोरोना से बचाव के लिए बंदी के दौरान अपने घरों को गए छात्र 25 से 30 जून के बीच वापस जेएनयू परिसर लौट सकेंगे।
जेएनयू में बचे हुए शीतकालीन सेमेस्टर को पूरा किया जाएगा। कैलेंडर के अनुसार सभी स्कूलों व संकायों को 31 जुलाई तक शीतकालीन सेमेस्टर का परीक्षा, मूल्यांकन और परिणाम की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। मानसून सेमेस्टर के लिए 1 अगस्त से पढ़ाई होगी। 25 से 31 जुलाई के बीच अस्थायी पंजीकरण किया जाएगा। कैलेंडर के अनुसार जो छात्र बंदी के समय अपनी पीएचडी की थीसिस जमा नहीं कर सके और अन्य अंतिम वर्ष पीएचडी के छात्र 31 दिसंबर से पहले अपनी थीसिस जमा करा सकेंगे। इस पोस्ट का कंटेंट यहाँ से लिया गया है
प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पड़े 3900 पदों पर भर्ती के लिए प्रतियोगी छात्रों ने सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू की है। बड़ी संख्या में छात्रों ने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों पर भर्ती शुरू किए जाने की मांग की है। वहीं, उच्च शिक्षा निदेशालय भी शासन को रिमांडर
भेजने की तैयारी कर रहा है।
अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए चार साल से कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया है। पद रिक्त होने के बावजूद भर्ती फंसी हुई है। डेढ़ साल पहले उच्च शिक्षा निदेशालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 534 पदों पर भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को पदों का अधियाचन भेजा था, लेकिन बाद में निदेशालय ने वापस ले लिया। उस बकक्त निदेशालय की ओर से कहा गया था कि आरक्षण को लेकर नए सिरे से समीक्षा होगी और इसके बाद अधियाचन भेजा जाएगा। निदेशालय ने यह काम पूरा भी नहीं किया था कि इसी बीच इब्ल्यूएस आरक्षण की व्यवस्था लागू कर दी गई और निदेशालय को नए सिरे से सीटों के लिए आरक्षण निर्धारित करना पड़ा। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. बंदना शर्मा का कहना है कि निदेशालय की ओर से एक रिमांडर शासन को भेजा जाएगा। भर्ती की अनुमति मिलते ही रिक्त पदों का अधियाचन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को भेज दिया जाएगा।
भेजने की तैयारी कर रहा है।
अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए चार साल से कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया है। पद रिक्त होने के बावजूद भर्ती फंसी हुई है। डेढ़ साल पहले उच्च शिक्षा निदेशालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 534 पदों पर भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को पदों का अधियाचन भेजा था, लेकिन बाद में निदेशालय ने वापस ले लिया। उस बकक्त निदेशालय की ओर से कहा गया था कि आरक्षण को लेकर नए सिरे से समीक्षा होगी और इसके बाद अधियाचन भेजा जाएगा। निदेशालय ने यह काम पूरा भी नहीं किया था कि इसी बीच इब्ल्यूएस आरक्षण की व्यवस्था लागू कर दी गई और निदेशालय को नए सिरे से सीटों के लिए आरक्षण निर्धारित करना पड़ा। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. बंदना शर्मा का कहना है कि निदेशालय की ओर से एक रिमांडर शासन को भेजा जाएगा। भर्ती की अनुमति मिलते ही रिक्त पदों का अधियाचन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को भेज दिया जाएगा।
आप सब विश्वास रखिये आपकी टीम की रणनीति दोनों विषयों पर भर्ती को गति भी देनी है और आदेश की सुरक्षा भी करनी है
इसपर समान रूप से ध्यान है और कार्य जारी है । अब शेष आप सबसे निवेदन है कि केवल स्वयं सहयोग करके कर्तव्य की इतिश्री न समझें । सफल अभ्यर्थीयों के साथ सतत संवाद करके उन्हें इस विषय मे जागरूक करते रहें ।।✍️
(अभी कैवियट हासिल नहीं हुई है पर उम्मीद करता हूं समाचार पत्र अपनी विश्वसनीयता न खोएंगे और सत्य चीज ही बोल रहे होंगे ।) इस पोस्ट का कंटेंट यहाँ से लिया गया है
मई तक उपलब्ध रहेगी। सूत्रों के अनुसार परिणाम दो-तीन दिनों में यानि बुधवार तक जारी हो सकता है। हिन्दी
साहित्य के तीन प्रश्न कोर्स से बाहर होने के कारण उन्हें हटा दिया गया है। इन तीनों प्रश्नों पर सभी अभ्यर्थियों
को समान रूप से एक-एक (कुल तीन-तीन) अंक दिए जाएंगे या फिर प्रश्नों को हटाकर 147 नंबर पूर्णाक के आधार पर परिणाम तैयार होगा, इसका निर्णय परीक्षा समिति करेगी। तीन प्रश्न हटाकर 147 अंकों के पूर्णाक के आधार पर परिणाम जारी करने में कटऑफ अंक 97/90 से घटाना पड़ेगा जिसमें विवाद की स्थिति बन सकती है। सबको तीन- तीन अंक देने में कोई विवाद की स्थिति नहीं होगी।
6 मई को हाईकोर्ट से फैसला आने के बाद सीएम योगी ने एक सप्ताह में भर्ती पूरी करने का आदेश दिया है। भर्ती परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी। उसके बाद 8 जनवरी 2019 को उत्तरमाला जारी करते हुए 11 जनवरी 2019 की शाम 6 बजे तक ऑनलाइन आपत्ति ली गई और विषय विशेषज्ञों की\ कमेटी गठित कर आपत्तियां निस्तारित की गईं। इसके बाद अंतिम उत्तरमाला जारी होने से पहले कटऑफ को लेकर विवाद हो गया। जिसका निपटारा 6 मई को हाईकोर्ट में हो गया। इस पोस्ट का कंटेंट यहाँ से लिया गया है
वहीं, भर्ती परीक्षा के परिणाम बुधवार या बृहस्पतिवार को जारी किए जा सकते हैं। सचिय परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी की ओर से जारी उत्तर कुंजी में हिंदी साहित्य के तीन प्रश्नों बुकलेट सीरीज बी में प्रश्न 30- सरस्वती पत्रिका के संपादक कौन हैं? प्रश्न 31- चिर्दंबरा पर ज्ञानपीठ पुरस्कार किसे प्राप्त हुआ? प्रश्न 33- महावीर प्रसाद द्विवेदी ने आदिकाल को क्या संज्ञा दी है?, इन तीनों प्रश्नों को बाहर कर दिया गया है। सचिव ने बताया कि इस संबंध में परीक्षा समिति निर्णय लेगी कि इन प्रश्नों पर सभी को समान अंक दिए जाएं या इन्हें मूल्यांकन से बाहर कर दिया जाए। इस पोस्ट का कंटेंट यहाँ से लिया गया है