संस्कृत विद्यालय में शिक्षक भर्ती पर लगेगी याचिका

प्रयागराज: सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में स्थायी पदों के सापेक्ष शासन द्वारा की जा रही अस्थायी संविदा शिक्षकों की नियुक्ति के विषय पर वायस आफ टीचर्स (वोट) ने बैठक की। सच्चा आध्यात्म संस्कृत महाविद्यालय नैनी के पूर्व प्राचार्य डॉ. चंद्रदेव मिश्र की अध्यक्षता में हुई बैठक में परंपरागत संस्कृत शिक्षक शामिल हुए। वोट के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य राजेश मिश्र ने की जा रही इस नियुक्ति को त्रुटिपूर्ण और अनुचित बताया। पूर्व प्राचार्य त्रिवेणी संस्कृत महाविद्यालय डॉ. शम्भू नाथ त्रिपाठी अंशुल ने इसे संस्कृत संस्थानों से शिक्षकीय पद समाप्त करने की प्रक्रिया में बढ़ाया गया कदम बताया। अध्यक्षता करते हुए डा. चंद्रदेव मिश्र ने कहा कि इसके विरुद्ध उच्च न्यायालय में याचिका योजित की जानी चाहिए, जिसका सभी सदस्यों ने समर्थन किया।

शिक्षकों व कर्मियों ने पांच माह से बकाया वेतन भुगतान की मांग को मंगलवार को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ज्ञापन सौंपा

महराजगंज। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के शिक्षकों व कर्मियों ने पांच माह से बकाया वेतन भुगतान की मांग को मंगलवार को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी से उनके आवास पर मुलाकात की तथा ज्ञापन सौंपा।



केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री से मिले शिक्षकों ने कहा कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा संचालित होने वाले जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में कार्यरत प्रवक्ताओं व अन्य कर्मचारियों को पिछले पांच माह से अब तक वेतन नहीं दिया गया है। वेतन न मिलने से जहां शिक्षक व कर्मचारी भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं वहीं, उनके बच्चों की शिक्षा-दीक्षा व भरण पोषण की व्यवस्था में भी कठिनाइयां उत्पन्न हो रही हैं। शिक्षकों व कर्मियों के साथ-साथ उनके परिवार के हितों को ध्यान में रखते हुए अविलंब वेतन का भुगतान कराया जाए। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने उनकी समस्याओं को दूर कराने को लेकर आवश्यक कदम उठाए जाने का आश्वासन दिया है।

केंद्रीय मंत्री को ज्ञापन देने के दौरान अर्जुन शाही, रामजी, महाकालेश्वर पांडेय, आशीष मौर्य, दिव्या गुप्ता, पूजा चौधरी, मनीष प्रजापति, सूरज प्रकाश, संजय कुमार, डॉ. अरशद जमील, अभिमन्यु नायक, गोले त्रिपाठी, संजय आदि मौजूद रहे।

यूपी के एक करोड़ स्टूडेंट्स को टैबलेट व स्मार्टफोन देगी यूपी सरकार, योगी कैबिनेट ने दी मंजूरी

युवाओं को शिक्षित, प्रशिक्षित व स्वावलंबी बनाने के लिए योगी सरकार उन्हें मुफ्त में स्मार्ट फोन और टैबलेट देकर सशक्त व समर्थ बनाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उनके सरकारी आवास पर मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में टैबलेट व स्मार्ट फोन वितरण योजना को मंजूरी दी गई। कैबिनेट बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता तथा सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि युवाओं के डिजिटल सशक्तीकरण के लिए सरकार ने यह निर्णय किया है। सरकार से यह सौगात पाने वाले युवाओं की संख्या 60 लाख से एक करोड़ तक हो सकती है। इस पर 3000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। कैबिनेट बैठक में कुल 25 प्रस्तावों पर मुहर लगी।


यूपी सरकार के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि टैबलेट व स्मार्टफोन स्नातक, परास्नातक, बीटेक, डिप्लोमा, पैरामेडिकल व नर्सिंग और कौशल विकास से जुड़े लाभार्थी युवा छात्रों को बांटे जाएंगे। इससे न केवल वे अपने शैक्षिक पाठ्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूरा कर सकेंगे, बल्कि उसके बाद विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी तथा स्वावलंबन की योजनाओं में भी इसका सदुपयोग कर नौकरी व रोजगार पा सकेंगे। कोरोना काल में आनलाइन शिक्षा, ट्यूटोरियल व कोचिंग अपरिहार्य हो गए हैं।

जूनियर हाई स्कूल प्रधानाध्यापक/सहायक अध्यापक चयन परीक्षा वर्ष 2021 के संदर्भ में आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी, देखें

जूनियर हाई स्कूल प्रधानाध्यापक/सहायक अध्यापक चयन परीक्षा वर्ष 2021 के संदर्भ में आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी, देखें 

मनरेगा योजना में महिला कार्मिकों को 180 दिन का मातृत्व अवकाश मिल रहा

लखनऊ : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना में महिला कार्मिकों को 180 दिन का मातृत्व अवकाश मिल रहा है। यदि महिला कार्मिक ने पिछले वर्षों में भी मातृत्व सुख पाया है तो उसका भी वह भुगतान ले सकती है। इसके लिए उसे संबंधित जिले में आवेदन करना होगा। यह जरूर है कि महिला को सेवाकाल में सिर्फ दो बार ही वेतन के साथ मातृत्व अवकाश मिलेगा।


ग्राम्य विकास विभाग की ओर से संचालित मनरेगा योजना में महिलाएं बड़ी संख्या में संविदा पर कार्य कर रही हैं। प्रदेश सरकार ने इसी वर्ष संविदा पर कार्यरत महिलाओं को मातृत्व अवकाश देना शुरू किया है। शासन ने मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के अनुसार पूरे सेवाकाल में दो बार तक वेतन सहित अवकाश देने का निर्णय लिया। इस आदेश के बाद से महिलाओं को मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जा रहा है। शासन ने यह भी व्यवस्था की है कि योजना में कार्यरत महिला कार्मिक ने यदि पूर्व के वर्षों में भी मातृत्व सुख पाया है तो उसे नियमानुसार भुगतान किया जाए।

अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास विभाग मनोज कुमार सिंह का आदेश है कि प्रसूति अवकाश यदि आठ दिसंबर 2008 के पहले का है तो संबंधित कार्मिक को 135 दिन का भुगतान मिलेगा। यदि मातृत्व अवकाश दिसंबर 2008 के बाद का है तो उसे 180 दिन का भुगतान किया जाएगा।

अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार का कहना है कि महिला कार्मिकों को संबंधित जिले में इसके लिए आवेदन करना होगा, तब उन्हें भुगतान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में अधिकारियों को आदेश जारी किए जा चुके हैं।

जल्द होगा रोजगार सेवकों का समायोजन : कई ग्राम पंचायतों के नगर पंचायत क्षेत्र में आने पर रोजगार सेवकों का समायोजन जिले की रिक्त ग्राम पंचायतों में किए जाने की व्यवस्था है। अब तक 415 से अधिक का समायोजन हो चुका है। शेष का जल्द समायोजन किया जाएगा। महिला मनरेगा कार्मिक का विवाह होने पर समायोजन की तैयारी है। कोरोना से मृत कर्मियों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर अब तक 15 लोगों को समायोजित किया गया। परिवार के व्यक्ति के ग्राम प्रधान निर्वाचित होने पर रोजगार सेवक की सेवाएं समाप्त नहीं होंगी, अन्य ग्राम पंचायतों में समायोजन होगा।

’मातृत्व अवकाश सेवाकाल में दो बार सवेतन देने का है आदेश
’2008 के पहले 135 दिन और उसके बाद 180 दिन का भुगतान


बुधवार छह अक्तूबर को पितृ विसर्जन अमावस्था पर बेसिक शिक्षा परिषद के सभी स्कूल बंद रहेंगे

बरेली। बुधवार छह अक्तूबर को पितृ विसर्जन अमावस्था पर बेसिक शिक्षा परिषद के सभी स्कूल बंद रहेंगे। मंगलवार को पूरे दिन शिक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुपों पर बहस चलती रही कि पितृ विसर्जन अमावस्या पर स्कूलों में छुट्टी रहेगी या नहीं। दरअसल, यह असमंजस इसलिए पैदा हुआ क्योंकि बेसिक शिक्षा परिषद की 2021 को अवकाश तालिका में पितृ विसर्जन अमावस्या का अवकाश शामिल नहीं है।
 

परिषद के सचिव की सूची में भी यह अवकाश नहीं था, जबकि डीएम की सूची में छह अक्तूबर का अवकाश दर्ज है। बीएसए विनय कुमार ने बताया कि छह अक्तूबर को अवकाश रहेगा। इसे लेकर यूटा के जिला उपाध्यक्ष सत्येंद्र पाल सिंह, महिला शिक्षक संघ की जिलाध्यक्ष रुचि सैनी और शिक्षक नेता हरीश बाबू शर्मा ने भी अधिकारियों से बात कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था।

गुरुजी की योग्यता परखने को डेढ़ मिनट, संविदा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर सवाल

प्रयागराज : प्रदेश भर में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में अस्थाई संविदा पर शिक्षकों की भर्ती तो की जा रही है, लेकिन योग्यता परखने के लिए तय किए समय से सवाल खड़े हो गए हैं। साक्षात्कार छह अक्टूबर से नौ अक्टूबर तक सुबह दस से शाम पांच बजे तक लिया जाएगा।


साहित्य एवं व्याकरण विषय के लिए साक्षात्कार लिया जाएगा, जबकि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से विशेषज्ञ न मिल पाने के कारण प्रयागराज में आधुनिक विषय का साक्षात्कार स्थगित कर दिया गया है। प्रदेश भर में जिलों में अस्थाई संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जो पांच सदस्यीय चयन समिति बनाई गई है, उसमें संबंधित अशासकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक अध्यक्ष हैं। इनके अलावा संबंधित जिले के जिलाधिकारी द्वारा नामित जनपदीय अधिकारी सदस्य, मंडलीय उप निरीक्षक संस्कृत पाठशालाएं सदस्य, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा नामित दो सदस्य एवं संबंधित जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक सदस्य सचिव हैं। साक्षात्कार में शिक्षकों की योग्यता परखने के लिए उदाहरण के रूप में प्रयागराज की स्थिति को समझना होगा। साहित्य एवं व्याकरण विषय के लिए कुल 1127 आवेदन मिले हैं, जिसमें से 90 निरस्त हो गए हैं। चार दिवसों में सुबह दस से शाम पांच बजे तक साक्षात्कार की अवधि में मध्याह्न अवकाश एवं भिन्न-भिन्न विद्यालयों के लिए एक के बाद दूसरे विद्यालय के साक्षात्कार बोर्ड का गठन भी किया जाता रहेगा। इयदि छह घंटे रोज साक्षात्कार होगा तो चार दिन में 24 घंटे यानी 1440 मिनट लगेंगे। इस 1440 मिनट में करीब 1027 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लिया जाना है।अब सवाल यह है कि लगभग इस डेढ़ मिनट में किसी शिक्षक की योग्यता कैसे परखी जाएगी? और वह कितनी न्यायसंगत होगी? इतने कम समय में शिक्षक के मूल्यांकन की प्रक्रिया को वायस आफ टीचर्स (वोट) के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य राजेश मिश्र ‘धीर’ ने त्रुटिपूर्ण, अव्यवहारिक, दोषपूर्ण एवं औपचारिक बताया है।

CM Yogi फैसला: गरीबों को आवंटित सभी तरह के भवनों की रजिस्ट्री अब 500 रुपये में होगी

लखनऊ: सरकार ने निजी विकासकर्ताओं के ईडब्ल्यूएस भवनों के गरीब आवंटियों को बड़ी राहत देने वाला फैसला किया है। अब ऐसे आवंटियों को भवन की रजिस्ट्री के लिए 40-50 हजार रुपये नहीं खर्च करने पड़ेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में ऐसे आवंटियों के भवनों की रजिस्ट्री भी मात्र 500 रुपये में करने का फैसला किया गया।


अब तक विकास प्राधिकरण, आवास विकास परिषद आदि द्वारा बनाए जाने वाले ईडब्ल्यूएस भवनों के आवंटियों को ही 500 रुपये में ही रजिस्ट्री कराने की छूट मिल रही थी। पीएम आवास योजना (शहरी) मिशन के तहत विकासकर्ता द्वारा बनाए जाने वाले दुर्बल आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के भवनों की लाभार्थी के पक्ष में रजिस्ट्री पर भी 500 रुपये ही स्टाम्प शुल्क की व्यवस्था थी। निजी विकासकर्ताओं के लिए अपनी योजना में 10 फीसद भवन ईडब्ल्यूएस के लिए बनाने की शर्त है इसलिए विकासकर्ता ऐसे भवन बना तो रहे थे, लेकिन उनकी पात्र आवंटियों के पक्ष में रजिस्ट्री कराने पर 50 हजार रुपये तक स्टाम्प ड्यूटी का खर्च आ रहा था। ऐसे में निजी विकासकर्ताओं की संस्था क्रेडाई की मांग कर थी कि अन्य की तरह निजी विकासकर्ताओं के ईडब्ल्यूएस भवनों की रजिस्ट्री पर भी 500 रुपये ही स्टाम्प ड्यूटी लगे।

कानपुर के सर्किट हाउस में लगेगी अटल की प्रतिमा

भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा कानपुर नगर के सर्किट हाउस में लगाए जाने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी। इसकी कुल लागत 37.35 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है।

हजार रुपये तक का दुर्बल आय वर्ग के आवंटियों को होगा फायदा

लखनऊ : 25 से 500 एकड़ भूमि पर इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित करने वाले विकासकर्ताओं को राज्य सरकार ने राहत दी है। अब ऐसे विकासकर्ताओं को डीपीआर के बजाय सिर्फ ले-आउट पर ही नगरीय विकास शुल्क (सीडीसी) देना पड़ेगा। इस संबंध में कैबिनेट बैठक में इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति-2014 (लाइसेन्स आधारित प्रणाली) में संशोधन संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इससे इंटीग्रेटेड टाउनशिप परियोजनाओं के काम में अब तेजी आएगी। छोटे शहरों में भी जरूरतमंदों के लिए आवास मुहैया कराने के लिए राज्य में 25 से 500 एकड़ क्षेत्रफल पर निजी निवेश के जरिए विकासकर्ताओं द्वारा टाउनशिप विकसित की इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति लागू है। नीति के मुताबिक परियोजना की स्वीकृत डीपीआर के तहत चरणबद्ध रूप से ले- आउट प्लान की स्वीकृति और संबंधित विकास प्राधिकरण-परिषद के साथ विकास अनुबन्ध की कार्यवाही की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी रिक्तियों के लिए अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति एक रियायत है अधिकार नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी रिक्तियों के लिए अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति एक रियायत है अधिकार नहीं। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 14 व 16 के तहत अनिवार्य सभी सरकारी रिक्तियों के लिए अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति में सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान किया जाना चाहिए, लेकिन यह एक मापदंडों का अपवाद है।


जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एआर बोपन्ना की पीठ ने का कि इस अदालत द्वारा अपने कई फैसलों में दी गई व्यवस्था के मुताबिक अनुकंपा नियुक्ति लोक सेवाओं में नियुक्ति के सामान्य नियम का अपवाद है। पीठ ने कहा कि अनुकंपा के आधार पर रोजगार देने का मकसद परिवार को संकट से उबरने में सक्षम बनाना है। इसका उदेश्य ऐसे परिवार को मृतक के पद से कम पद देना नहीं है। पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को रद करते हुए उप्र सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली। हाई कोर्ट ने चतुर्थ श्रेणी के एक कर्मचारी की विधवा को तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को भी बहाल किया, जिसे खंडपीठ ने रद कर दिया था। एकल पीठ ने तृतीय श्रेणी के पद के लिए महिला की उम्मीदवारी को खारिज कर दिया था, क्योंकि उसका पति चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी था

PET 2021: प्रारंभिक अर्हता परीक्षा की उत्तर कुजी में बड़ा बदलाव , पूछे गए तीन गलत सवाल

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) की प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (पीईटी) 2021 में बड़ा बदलाव हुआ है। दूसरी पाली की परीक्षा में एक प्रश्न का उत्तर (विकल्प) बदल गया है वहीं, तीन सवाल की गलत मिले हैं। आयोग की ओर से परीक्षा में शामिल होने वाले सभी अभ्यर्थियों को इन प्रश्नों में पूरे अंक दिया जाएगा। संशोधित उत्तरकुंजी वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है, अभ्यर्थी उसे देख सकते हैं।


उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से राज्य सरकार की समूह ग के रिक्त पदों पर चयन के लिए प्रारंभिक अर्हता परीक्षा 24 अगस्त को कराई गई थी। इम्तिहान दो पालियों सुबह 10 से 12 और अपरान्ह तीन से पांच बजे तक चला। इसमें शामिल होने के लिए 20.73 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, उनकी परीक्षा 2253 केंद्रों पर कराई गई थी। चयन आयोग ने पहली और दूसरी पाली के प्रश्नपत्रों की मास्टर उत्तरकुंजी जारी किया था। 31 अगस्त को वेबसाइट पर लिंक जारी करके अभ्यर्थियों से आपत्तियां मांगी गई। आयोग ने उत्तरकुंजी के सापेक्ष मिली आपत्तियों का विषय विशेषज्ञों से परीक्षण कराया। इसमें पहली पाली की परीक्षा में हुए सवालों का कोई जवाब नहीं बदला है।

परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि दूसरी पाली में एक प्रश्न का उत्तर (विकल्प) बदल गया है वहीं, तीन सवाल की गलत मिले हैं। इन गलत सवालों के सम्मुख उत्तरकुंजी में फुल मार्क्स लिखा गया है। परीक्षा में शामिल होने वाले सभी अभ्यर्थियों को इन प्रश्नों पर पूरे अंक दिए जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि दोनों पालियों में आठ-आठ सीरीज के प्रश्नपत्रों से परीक्षा कराई गई थी। दोनों पालियों की संशोधित उत्तरकुंजी वेबसाइट upsssc.gov.in पर अपलोड कर दी गई है। अभ्यर्थी उसे देख सकते हैं।

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अनुसार समूह 'ग' भर्तियों के लिए भविष्य में आयोजित की जाने वाली मुख्य परीक्षाओं में शामिल होने के लिए पीईटी में शामिल होना अनिवार्य है। पीईटी के अंकों के आधार पर ही मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों की शार्टलिस्टिंग की जाएगी। पीईटी में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों का स्कोर, परीक्षा परिणाम आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किए जाने की तारीख से एक वर्ष तक मान्य होगा। आयोग की ओर से विज्ञापित किए जाने वाले किसी भी पद पर चयन के लिए मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों की श्रेणीवार (लंबवत व क्षैतिज आरक्षण) मेरिटवार शॉर्टलिस्टिंग उनके पीईटी के स्कोर के आधार पर ही की जाएगी।

पदोन्नति में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, प्रतिनिधित्व निर्धारण के लिए क्या किया

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से उन कदमों की जानकारी मांगी, जो केंद्रीय नौकरियों में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का आकलन करने के लिए उठाए गए हैं। पीठ ने सरकार से कहा कि एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए साल 2006 के नागराज मामले में संविधान पीठ के फैसले का पालन करने के लिए की गई कवायद की जानकारी उपलब्ध कराए।



जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी समुदाय के लिए पदोन्नति में आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने कहा कि वह एक इस विवादास्पद मुद्दे पर फैसला करेगी कि आरक्षण नागराज मामले में दिए फैसले के अनुसार, एक समुचित अनुपात या प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता के आधार पर होना चाहिए।

पीठ ने कहा कि हम यह जानना चाह रहे हैं कि नागराज मामले में फैसले के बाद प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता का पता लगाने के लिए क्या किया गया है? अगर हम आरक्षण की पर्याप्तता का निर्धारण जनसंख्या के आधार पर करते हैं तो इसमें बड़ी खामियां हो सकती हैं। केंद्र को पर्याप्तता का अर्थ समझने के लिए दिमागी कसरत करनी चाहिए थी। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह ने कहा कि इसी कारण आनुपातिक परीक्षण लागू नहीं किया गया था।

इस पर पीठ ने कहा कि पदों पर रोस्टर तैयार होना चाहिए। यह एक मानदंड हो सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से आंकड़े कहीं भी मौजूद नहीं हैं। हम देखना चाहते हैं कि आरक्षण जारी रखने के लिए आपके पास क्या औचित्य है। इसके बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि वह आरक्षण जारी रखने के लिए आंकड़े और कारण पेश करेंगे।

शिक्षामित्रों और अनुदेशको को किया जाए नियमित, संविदा कार्मिको का न्यूनतम मानदेय 21 हजार प्रतिमाह किया जाए

बलिया: कर्मचारी शिक्षक अधिकारी एंव पेंशनर्स अधिकार मंच के आवाह्न पर मंगलवार को कर्मचारियों और शिक्षकों ने मोटरसाइकिल रैली निकाली। इसमें प्रतिभाग करने वाले हजारो शिक्षकों और कर्मचारियों ने शहर में भ्रमण करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे।


वहाँ अपर जिलाधिकारी राजेश कुमार को पुरानी पेंशन, कैशलेस चिकित्सा, 7 वें वेतन आयोग की वेतन विसंगति समेत सरकार कै सम्बंधित 17 सूत्रीय मांग लैटर सौंपा इसमें शिक्षामित्रों व अनुदेशक को नियमित करने व आशा बहु, रसोइया, आंगनबाड़ी सहित संविदा कार्मिको को न्यूनतम 21 हजार मानदेय करने एवं राज्य कर्मचारी घोषित करने की मांग भी शामिल है।

सहायक अध्यापक पद की 17 अक्टूबर को होने वाली परीक्षा प्रवेशपत्र बुधवार को दोपहर बाद से डाउनलोड कर सकेंगे

प्रयागराज : जूनियर हाईस्कूल प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापक पद की 17 अक्टूबर को होने वाली परीक्षा-2021 के लिए केंद्र निर्धारित करने के साथ प्रवेशपत्र वेबसाइट पर अपलोड कर दिए गए हैं।


परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से प्रदेश के मंडल मुख्यालयों के जिले पर परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। पहली पाली की परीक्षा 688 केंद्रों पर होगी। सहायक अध्यापक एवं प्रधानाध्यापक पद के अभ्यर्थी शामिल होंगे। दूसरी पाली की परीक्षा प्रधानाध्यापक पद के अभ्यर्थियों के लिए होगी, जिसके लिए 49 केंद्र बनाए गए हैं। अभ्यर्थी प्रवेशपत्र बुधवार को दोपहर बाद https://updeled.gov.in से डाउनलोड कर सकेंगे।


फर्रुखाबाद: परिषदीय विद्यालयों का दिनाँक 06.10.2021 का पितृ अमावस्या का अवकाश घोषित

फर्रुखाबाद: परिषदीय विद्यालयों का दिनाँक 06.10.2021 का पितृ अमावस्या का अवकाश घोषित

प्रत्येक ब्लाक में दो दो एआरपी चयनित होंगे जो प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षित करेंगे

ज्ञानपुर। पढ़ाई छोड़ चुके या स्कूल जाने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रत्येक ब्लाक में दो दो एआरपी चयनित होंगे जो प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षित करेंगे। इसके बाद ने नोडल अध्यापक कहलाएंगे और चिह्नित बच्चों को पढ़ाकर अन्य बच्चों के समकक्ष बनाएंगे।


बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने बताया कि जो बच्चे आउट ऑफ स्कूल हैं या थे उन्हें विशेष रूप से पढ़ाया जाएगा। समग्र शिक्षा राज्य परियोजना निदेशालय की ओर से सोमवार को जारी पत्र में इसके लिए स्पष्ट निर्देश भी दिया गया है। प्रशिक्षण के लिए जो खाका खींचा गया है उसके तहत प्रत्येक ब्लाक से दो-दो एआरपी का चयन किया जाएगा। छह ब्लाकों के लिए 12 और दो नगरीय क्षेत्र के लिए एआरपी चयनित किए जाएंगे। बीते वर्ष चार हजार 859 बच्चों का लक्ष्य था। इस बार पांच हजार बच्चों का लक्ष्य मिला है। प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर इसके लिए सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। संवाद




छात्र आत्महत्या कर लेता है तो इसके लिए शिक्षक जिम्मेदार नहीं होगा : उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली। स्कूल में छात्र को डांटने और उसकी शिकायत प्रिंसिपल से करने तथा उसके बाद उसके माता-पिता को स्कूल में बुलाने भर से यदि छात्र आत्महत्या कर लेता है तो इसके लिए शिक्षक जिम्मेदार नहीं होगा। यह कहते हुए उच्चतम न्यायालय ने एक फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा- 306 के तहत दर्ज केस समाप्त कर दिया। स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के लिए छात्र को डांटना कोई गुनाह नहीं है।


अदालत ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला सिद्ध करने के लिए कुछ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आरोप होने चाहिए। महज परेशान करने के आरोप पर्याप्त नहीं हैं, इस परेशान करने के आरोपों के साथ कुछ ऐसी कार्रवाई के सबूत भी होने चाहिए, जिससे पता चले कि उसे आरोपी द्वारा उकसाया गया था। यह मामला राजस्थान का है, जहां एक शिक्षक द्वारा डांटे जाने पर एक 14 वर्षीय छात्र ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।




अभद्र एवं अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने के मामले में ARP को किया गया निलंबित, देखें यह आदेश

 अभद्र एवं अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने के मामले में ARP को किया गया निलंबित, देखें यह आदेश

प्रेरणा पोर्टल पर टीचर लॉगिन दिखने लगा है, कर सकते हैं रेजिस्ट्रेशन

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दो साल पहले शिक्षकों के समायोजन व उनकी तैनाती में धांधली के आरोपों में बीईओ और दो शिक्षक जांच में फंस

आगरा: बेसिक शिक्षा विभाग में दो साल पहले शिक्षकों के समायोजन व उनकी तैनाती में धांधली के आरोपों में तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) और दो शिक्षक विजिलेंस जांच में फंस गए हैं।


शासन के निर्देश पर विजिलेंस ने अपनी जांच में धांधली व अनियमितता को सही पाया है। विजिलेंस थाने ने तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र पटेल और दो शिक्षकों राकेश शर्मा व जियाउल हक हसन कादरी के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। वर्ष 2019 में परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया को लागू किया गया था। आरोप है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपने खास लोगों को लाभान्वित करने के लिए उन्हें नजदीक ब्लाक में आने वाले विद्यालयों में तैनात कर दिया था। वहीं जिनकी पहुंच नहीं थी ऐसे शिक्षकों को दूरस्थ ब्लाक के विद्यालयों में समायोजित कर दिया। समायोजन की इस प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायत होने के बाद जिला समिति ने समायोजन को निरस्त कर दिया था। इसके बावजूद भी इस दौरान समायोजित हुए शिक्षक मूल तैनाती वाले विद्यालय में नहीं लौटे।

इस मामले में शिक्षक संगठनों ने विभाग के अधिकारियों पर धांधली के आरोप लगाए थे। इसकी शिकायत शासन में की थी। जिस पर तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी बरौली अहीर वीरेंद्र पटेल समेत कई लोगों को निलंबित किया गया था। मामले में शासन ने धांधली के आरोपों की जांच विजिलेंस को सौंपी थी। विजिलेंस की जांच में तत्कालीन खंड शिक्षाधिकारी समेत दो शिक्षकों पर आरोप सही साबित हुए हैं। विजिलेंस की टीम ने जांच के बाद अब वीरेंद्र पटेल एवं शिक्षकों राकेश शर्मा व जियाउल हक हसन कादरी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है।

स्कूल में विद्यार्थियों को बांटे सड़े फल, प्रधानाध्यापक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई

आगरा: एत्मादपुर: मिड-डे मील योजना के तहत स्कूल में छात्र-छात्रओं को दिए जाने वाले मौसमी फलों के वितरण में लापरवाही बरती जा रही है। सोमवार को एत्मादपुर के एक विद्यालय में बच्चों को सड़े हुए नख वितरित कर दिए गए। इनमें कीड़े थे। इसका वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होने के बाद खंड शिक्षाधिकारी वीरेश कुमार सिंह ने प्रधानाध्यापक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की संस्तुति की है।


एत्मादपुर के सवांई स्थित कंपोजिट विद्यालय में सोमवार को कक्षा एक से पांचवीं तक के विद्यार्थियों को मिड-डे मील के तहत नख वितरित किए गए। कड़वाहट लगते ही बच्चों ने देखा तो फल अंदर से सड़े हुए थे। कुछ में कीड़े भी दिखे। । मिड डे मील के दौरान बच्चों के साथ किए जा रहे खिलावाड़ को वहां मौजूद किसी शख्स ने यह वीडियो बना इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होते ही महकमे में खलबली मच गई। मामले में खंड शिक्षाधिकारी ने मामले की जांच की। उनके मुताबिक इस संबंध में प्रधानाध्यापक नजमा बेगम से स्पष्टीकरण मांगा था। संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिलने पर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के लिए बीएसए को पत्र लिखा गया है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि प्रधानाध्यापक का यह कहना कि वीडियो फे क है। जो सरासर गलत है। नख का वितरण शासनादेश के विपरीत है। शासनादेश में ताजा मौसमी फलों का वितरण करना है। कोरोना और डेंगू जैसी बीमारियां फैल रही हैं। ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया गया है।

150 बच्चों को किया गया फल का वितरण

खंड शिक्षाधिकारी ने बताया कि एक ही प्रांगण में प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल संचालित हैं। दोनों विद्यालयों में कुल 250 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को नख फल दोनों स्कूलों में वितरित किए गए। एक अनुमान के मुताबिक 150 बच्चों को फल वितरण किया गया।

’>>प्रधानाध्यापक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई को खंड शिक्षाधिकारी ने बीएसए को लिखा पत्र
’>>सड़े व कीड़े युक्त फल बांटने का वीडियो हुआ था इंटरनेट मीडिया पर वायरल